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...और जब पूर्व मंत्री ने की वर्ष से लेकर सेकंड तक महाविद्यालय के 25 वर्षों की अद्भुत गणना

नेताजी सुभाष चंद्र बोस राजकीय स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी सम्पन्न

लखनऊ। जब भाजपा एमएलसी व पूर्व मंत्री डा. महेंद्र सिंह ने वर्ष से लेकर सेकंड तक महाविद्यालय के 25 वर्षों की अद्भुत गणना की तो सभी चकित रह गए और पूरा सभागार करतल ध्वनि से गूंज उठा। मौका था नेताजी सुभाष चंद्र बोस राजकीय स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय अलीगंज में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह का। रजत जयंती समारोह के उपलक्ष्य में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रायोजित "भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई -मानवता राष्ट्रवाद एवं राजनीति के कालजई अग्रदूत" विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का रविवार को समापन हो गया। 
समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि मौजूद भाजपा एमएलसी व पूर्व मंत्री डा. महेंद्र सिंह ने विस्तार से अटल जी के समावेशी व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अटल जी दूर दृष्टा थे, उनकी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, चतुर्भुज सड़क योजना अभिनव और अद्वितीय थी। वास्तव में अटल जी सर्वोदय, ग्रामोदय और अंत्योदय का मिला जुला स्वरूप थे। उन्होंने अद्भुत कालगणना के द्वारा महाविद्यालय के भविष्य की घोषणा करते हुये कहाकि एक दिन ये महाविद्यालय अवश्य ही अटल जी के सपनों को पूरा करेगा।
विशिष्ट अतिथि नालन्दा विवि में संस्कृत विभाग के अध्यक्ष और भाउराव देवरस से जुड़े प्रो. विजय कर्ण ने अटल जी के साथ ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती के अवसर पर उनके विचारों को साझा किया। उन्होंने कहाकि दीनदयाल जी सादगी, करुणा और शुचिता का जीवंत स्वरूप थे। उन्होंने कहाकि एकात्म मानववाद अपने आप में पूर्ण दर्शन है जिस पर समाज को चलने की ज़रूरत है।
विशिष्ट अतिथि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्वी उत्तर प्रदेश के संगठन मंत्री घनश्याम शाही ने कहाकि ये बेटियों का युग है। उन्होंने अटल जी एवं दीन दयाल उपाध्याय के जीवन को अनुकरणीय बताते हुये कहा कि दोनों राष्ट्र ऋषि थे। आज के समय में राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थियों की महती भूमिका है।प्राचार्या प्रो. अनुराधा तिवारी ने कहाकि अटल का व्यक्तित्व चुम्बकीय था। जो भी एक बार उनसे मिल लेता तहस, वो सदा के लिए उनका हो जाता था। उन्होंने अतिथियों का स्वागत किया।
दूसरे दिन "अटल जी का भारतीय राजनीति एवं वैज्ञानिक उत्थान में योगदान" विषयक तृतीय तकनीकी सत्र डॉ. मंजुला उपाध्याय की अध्यक्षता एवं डॉ. सत्यकेतु की सह अध्यक्षता में आयोजित किया गया। इस सत्र के मुख्य वक्ता डॉ. शरद कुमार वैश्य ने अटल जी के वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए 1998 के पोखरण विस्फोट, दूरसंचार नीति 1999, विज्ञान एवं तकनीकि नीति 2003 का विस्तार पूर्वक वर्णन किया। अन्य वक्ता डा. जान्हवी ओझा एवं डॉ. आलोक सिंह ने अटल जी के भारतीय राजनीति में योगदान के बारे में चर्चा की। सत्र का आयोजन डॉ. राघवेंद्र प्रताप नारायण एवं डॉ. उषा मिश्रा ने किया। जबकि सत्र का प्रतिवेदन आख्या डॉ. दिव्या पाल ने प्रस्तुत की। इसी क्रम में चतुर्थ तकनीकी सत्र "भारत के सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं आर्थिक चिंतन" के विषय पर प्रो. सीएस वर्मा की अध्यक्षता एवं डॉ. उमा सिंह की सहअध्यक्षता में मुख्य वक्ता डॉ. हर्षमणि सिंह, डॉ. राघवेंद्र मिश्रा की उपस्थिति में डॉ. अरुण मिश्रा एवं डॉ. विशाल प्रताप सिंह द्वारा आयोजित किया गया।  
 
संगोष्ठी के संयोजक डा. राजीव यादव ने गोष्ठी की संकल्पना प्रस्तुत की और बताया कि गोष्ठी से प्राप्त निष्कर्षों से अटल जी की विराटता का पता चलता है। उन्होंने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया। आयोजन सचिव डा. जय प्रकाश वर्मा ने दो दिनों की आख्या प्रस्तुत करते हुए उद्घाटन तकनीकी सत्र और समापन की चर्चा की।

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