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चारबाग मेट्रो स्टेशन पर अचानक लगी आग, चंद मिनटों में पाया काबू !

लखनऊ। चारबाग मेट्रो स्टेशन परिसर में मंगलवार रात अचानक आग लगने से हड़कम्प मच गया। आपातकाल प्रणाली और फायर अलार्म ने वहां मौजूद कर्मचारियों व अधिकारियों को सतर्क कर दिया गया। इस दौरान कुछ ही मिनटों में आग को बुझा दिया गया। जिसके बाद सभी ने राहत की सांस ली। घबराइये नहीं मेट्रो स्टेशन में हकीकत में आग नहीं लगी थी बल्कि लखनऊ मेट्रो ने 06 सितंबर की रात अग्नि सुरक्षा पर मॉक ड्रिल किया था। इस मॉक ड्रिल में यूपीएमआरसी के 50 अधिकारियों ने हिस्सा लिया। इस मॉक ड्रिल में सुरक्षा, संचालन और नागरिक विभाग ने भाग लिया। अग्नि सुरक्षा ड्रिल रात 10:45 बजे शुरू हुई और 11:20 बजे समाप्त हुई। पानी और कार्बन डाइऑक्साइड टाइप एक्सटिंग्यूशर से आग को बुझाया गया। दूसरी मॉक ड्रिल  रात 11:20 बजे शुरू हुई और 11:50 बजे संपन्न हुई।

इस इन-हाउस मॉक ड्रिल की शुरुआत चारबाग मेट्रो स्टेशन के परिसर में आग लगने के साथ हुई। इस घटना ने स्टेशन में स्थापित आपातकाल प्रणाली और फायर अलार्म को चालू कर दिया। स्टेशन नियंत्रकों, अनुरक्षकों, हाउस कीपिंग स्टाफ और सुरक्षा अधिकारियों को सतर्क कर दिया गया। चारबाग स्टेशन पर तैनात मानव बल को जुटाया गया और कुछ ही मिनटों में आग को बुझा दिया गया।
यह अग्नि सुरक्षा तैयारी अभ्यास सफलतापूर्वक आयोजित किया गया था। इससे यह निष्कर्ष निकाला गया कि किसी भी दुर्घटना के मामले में, लखनऊ मेट्रो के मेट्रो स्टेशन किसी भी स्थिति का मुकाबला करने में सक्षम हैं। सभी मेट्रो स्टेशन पानी की टंकियों, फायर अलार्म, आपातकालीन अलार्म और अच्छी तरह से प्रशिक्षित कर्मचारियों से सुसज्जित हैं, जो कुछ ही घंटों में संकट का प्रबंधन कर सकते हैं।
मॉक ड्रिल के सफल आयोजन पर सुशील कुमार (एमडी यूपीएमआरसी) ने कहाकि यात्रियों को सुरक्षा प्रदान करना यूपीएमआरसी की पहली प्राथमिकता है। मॉक ड्रिल का यह सफल आयोजन साबित करता है कि हमारे कर्मचारी अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं और किसी भी संकट का मुकाबला करने के लिए मेट्रो स्टेशनों का बुनियादी ढांचा हर प्रकार के नवीन उपकरणों से सुसज्जित है। मुझे यूपीएमआरसी की टीम पर गर्व है जिसने लखनऊ मेट्रो के बुनियादी ढांचे को स्मार्ट और सुरक्षित बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। कानपुर में मेट्रो स्टेशन और ट्रेनें भी विश्वस्तरीय सुरक्षा सुविधाओं से सुसज्जित हैं। हम अपनी आगामी मेट्रो परियोजनाओं में इन सुरक्षा मानकों को बनाए रखने के लिए सर्वोत्तम प्रयास करेंगे। UPMRC भविष्य में भी ऐसी मॉक ड्रिल का आयोजन करता रहेगा। ऐसी मॉक ड्रिल हमें सुरक्षा तंत्र के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं को चिन्हित करने में मदद करती है। वे हमारे दावों के प्रमाण हैं जो हमें बताते हैं कि सुरक्षा मानकों के मामले में हम कहां खड़े हैं।"
“हाल ही में, होटल लेवाना में आग की घटना हुई और लखनऊ मेट्रो ने केडी सिंह बाबू स्टेडियम से 5000 लीटर पानी की आपूर्ति की और संकट को बेअसर करने में दमकल की मदद की। अतीत में भी, लखनऊ मेट्रो ने अपने मेट्रो स्टेशनों और ट्रेनों के माध्यम से ऐसी परिस्थितियों में जल की आपूर्ति की और संकटों को बहुत अच्छी तरह से प्रबंधित किया। इन सभी घटनाओं से पता चलता है कि हमारा बुनियादी ढांचा उन्नत है और किसी भी स्थिति का मुकाबला करने के लिए सुसज्जित है।

लखनऊ मेट्रो को क्या सुरक्षित बनाता है?

लखनऊ मेट्रो के एलिवेटेड मेट्रो स्टेशन 1,00,000 लीटर की क्षमता वाले पानी के टैंकों से लैस है। भूमिगत मेट्रो स्टेशन किसी भी स्थिति का मुकाबला करने के लिए 2,00,000 लीटर क्षमता के पानी के टैंको से लैस हैं।
लखनऊ के मेट्रो स्टेशन, फायर पंप, फायर हाइड्रेंट पॉइंट, फायर अलार्म सिस्टम, गैस फ्लडिंग सिस्टम, फायर एक्सटिंगुइशर, फायर हाइड्रेंट लाइन, फाइन वाटर स्प्रे सिस्टम और इमरजेंसी अलार्म सिस्टम के साथ स्थापित किये गए हैं। इन प्रणालियों की किसी भी खराबी से बचने के लिए, हम नियमित अंतराल के दौरान उनकी निगरानी और परीक्षण करते रहते हैं। मेट्रो रेल के डिब्बे सीसीटीवी से जुड़े होते हैं और इसकी समेकित संचार स्क्रीन ट्रेन संचालक को दिखाई देती है। सभी मेट्रो ट्रेन के डिब्बे पीए सिस्टम के साथ लगाए गए हैं जिसके माध्यम से यात्रियों को महत्वपूर्ण संदेश दिए जाते हैं।
इसके अतिरिक्त, न केवल स्टेशन और कोच बल्कि ट्रेन की सुरंगें भी आग से सुरक्षित हैं। सुरंगों को 'लीनियर हीट डिटेंशन सिस्टम' द्वारा संरक्षित किया जाता है जो तुरंत आग का पता लगाता है और मेट्रो स्टेशनों पर प्रतिनियुक्त अधिकारियों को सचेत करता है। आपात स्थिति के दौरान हर स्टेशन को डी.जी. सेट और ट्रांसफार्मर के साथ जोड़ा गया है , जिससे की मेट्रो ट्रेन की विद्युत आपूर्ति बाधित न हो। संकट के दौरान यात्रियों को सुरक्षित मार्ग प्रदान करने के लिए आपातकालीन निकास बिंदु, निकास रोशनी और आपातकालीन सीढ़ियां विकसित किए गए हैं। A.F.C गेट रियल टाइम मॉनिटरिंग एल्गोरिथम के साथ स्थापित किए गए हैं जो किसी भी दुर्घटना के दौरान फाटकों को स्वचालित रूप से खोलना सुनिश्चित करता है।

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