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जनजातीय सशक्तिकरण से बनेगा गौरवशाली भारत - अर्जुन मुंडा

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व में, भारत सरकार ने 15 नवंबर, भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को हर साल जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है। यह फैसला पूरे देश के लिए ऐतिहासिक क्षण था क्योंकि जनजातीय गौरव दिवस गौरवशाली जनजातीय विरासत, परंपरा, संस्कृति और भारत की उपलब्धियों को प्रदर्शित करता है, जो आत्मनिर्भर भारत की भावना से ओत-प्रोत है। यह वैश्विक मंच पर भारत की छवि को भी मजबूत करता है। हमारे प्रधानमंत्री ने कहा है, 'आजादी के इस अमृत काल में, देश ने संकल्प लिया है कि वह भारत की जनजातीय विरासत एवं परंपराओं तथा उनकी वीरता की कहानियों को और अधिक भव्य रूप से व्यापक पहचान दिलाएगा।'

दुनिया की लगभग 25 प्रतिशत जातीय आबादी भारत में रहती है, जो इसे एक विविध एवं समृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाला देश बनाती है। इसमें नौजवान आदिवासी भी शामिल हैं। वे शिक्षा, खेल जैसे क्षेत्रों में अपने लिए मिल रहे अवसरों का पूरे समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ लाभ उठा रहे हैं। वे प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कार भी जीत रहे हैं और अपनी अंतर्राष्ट्रीय पहचान बना रहे हैं। यद्यपि, नैसर्गिक प्रतिभा से संपन्न होने के बाद भी उपेक्षा के चलते, जनजातीय समुदाय को लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा है लेकिन अब प्रधानमंत्री के नेतृत्व में जनजातीय समाज के हालात हमेशा के लिए बेहतर हो रहे हैं।
यह ध्यान देने वाली बात है कि अब देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु हैं। राष्ट्रपति देश की अनुसूचित जनजातियों की असाधारण क्षमता का एक बेहतरीन उदाहरण हैं और इस विशिष्ट पद पर उनकी नियुक्ति जनजातीय समाज के प्रति हमारी सरकार की प्रतिबद्धता  को दिखाता है। 
इस सरकार के सुशासन के आठ वर्षों के दौरान जनजातीय लोगों के मसलों को हर तरह से सुलझाया गया है, जो हमारे सिद्धांत 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' के भाव को प्रदर्शित करता है। अपने इस सिद्धांत के साथ, हमारी सरकार ने जन-हितैषी शासन को आगे बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत की है।
भारत ने जन केंद्रित सरकार के रूप में एक आदर्श बदलाव देखा है। प्रधानमंत्री के 'रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म' (सुधार, प्रदर्शन, परिवर्तन) के आह्वान ने सरकार के पिछले आठ वर्षों के कार्यकाल में मार्गदर्शक सिद्धांत का काम किया है। अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को लाभ मिलना सुनिश्चित करने और देशभर में विकास के परिणाम में सुधार के लिए जन-हितैषी नीतियां व पहल लागू की गईं। इन कार्यक्रमों के माध्यम से बुनियादी ढांचे को बढ़ाने, स्वास्थ्य देखभाल के विकल्पों का विस्तार करने, किसानों के कल्याण और कमजोर लोगों की मदद को प्राथमिकता दी गई। इसके साथ ही विकास में युवाओं और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दिया गया है । 
अगर मैं निजी अनुभव से बात करूं, तो जब मैं भारत की आजादी के 100 वर्ष पूरे होने के बारे में विचार करता हूं तो मुझे महसूस होता है कि जनजातीय समाज को विकसित करना, सभी जनजातीय लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाना, उनके महत्वपूर्ण संस्थागत मसलों को सुलझाना और उनकी सांस्कृतिक विरासत को महत्व देते हुए समाज की मुख्यधारा से जोड़ना अत्यधिक  जरूरी है। 
हमारे प्रधानमंत्री ने विकास के लिए जिस महत्वपूर्ण रणनीति पर ज़ोर दिया है, वह समग्र शिक्षा है। यह एक ऐसा शक्तिशाली माध्यम है जो किसी भी समुदाय, वर्ग या देश को सकारात्मक रूप से आगे बढ़ने, आवश्यक सुधार करने और खुशहाल भविष्य के लिए एक सफल दृष्टिकोण अपनाने में सक्षम बनाता है। हमारी सरकार की नीतियों का आधार जनजातीय विरासत को संरक्षित रखते हुए शिक्षा पर अधिक केंद्रित है। 
जनजातीय समाजों में, विशेष रूप से युवा लड़कियों के लिए शैक्षिक उन्नति की परंपरा को प्रोत्साहित करना आवश्यक है। इसके अलावा, वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे तैयार करने की अपनी चुनौतियां हैं। हमारा लक्ष्य जनजातीय विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करके ब्लॉक स्तर पर इन समस्याओं का समाधान करना है, जिससे वे सर्वश्रेष्ठ एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों में पढ़ सकें और उन पांच छात्रवृत्ति कार्यक्रमों का लाभ उठा सकें जो हम देते हैं: प्री/पोस्ट मैट्रिक, राष्ट्रीय फेलोशिप, टॉप क्लास स्कॉलरशिप और नेशनल ओवरसीज स्कॉलरशिप। 
दुनिया एक डिजिटल युग की ओर बढ़ गई है। ऐसे में हमारे मंत्रालय ने जनजातीय समुदाय के कल्याण को आगे बढ़ाने एवं सुशासन के तहत नवीनतम तकनीकों को अपनाया है। हमारे ये प्रयास जनजातीय विकास कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने का आधार बन रहे हैं। ये जनजातीय लोगों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने और दूरदराज के इलाकों में भी उनका कौशल बढ़ाने में मदद करते हैं जिससे वे अपने बनाए सामानों का उत्पादन और बिक्री कर सकें। इसके अलावा, हमारे राज्य जनजातीय अनुसंधान संस्थान, गैर-सरकारी संगठन, उत्कृष्टता केंद्र और अन्य संबद्ध समूह जनजातीय जीवन एवं संस्कृति की उन्नति के साथ-साथ इसके मानव विज्ञान संबंधी घटकों, दोनों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उनका शोध, विकास योजना तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
भारत@2047 का विजन गांवों और शहरों दोनों में हर जरूरी सुविधाएं प्रदान करना,  दुनिया के सबसे उन्नत बुनियादी ढांचे का निर्माण कर खुशहाली के ऊंचे स्तर को हासिल करना है। ये लक्ष्य विजन भारत@2047 के लिए नींव की तरह हैं। विजन 2047 के इस मूल तत्व को गति देते हुए, जनजातीय कार्य मंत्रालय ने तय किया है कि स्थायी आजीविका, आय का सृजन, आजीविका में वृद्धि, स्वास्थ्य  और उनकी विविध जातीय संस्कृतियों को बढ़ावा देना आवश्यक है। हमारे प्रमुख कार्यक्रमों और पहलों के परिणामस्वरूप, आज जनजातीय लोग समाज में अधिक संगठित एवं एकजुट महसूस करते हैं। हम भारत में कई जनजातीय भाषाओं को संरक्षित और पोषित करने के भी प्रयास कर रहे हैं और जनजातीय भाषाओं में वर्णमाला की पुस्तक तैयार करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों एवं विशेषज्ञों के साथ काम कर रहे हैं।
मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि मंत्रालय विभिन्न जनजातीय समुदायों की मूर्त एवं अमूर्त सांस्कृतिक परंपराओं के लिए काम करता है, जिसमें जनजातीय समुदाय की महत्वपूर्ण कलाकृतियों, हस्तशिल्प, मूर्तियों, वस्तुओं के संरक्षण के साथ ही समाज एवं संस्कृति के बारे में ऐतिहासिक जानकारी पर विशेष जोर दिया जाता है। इसके अलावा, स्थानीय शासी संस्थाओं के समन्वय से हमारे कार्यक्रमों व नीतियों को स्थानीय स्तर पर राष्ट्रीय दृष्टिकोण के साथ संचालित किया जाता है। 
लंबी अवधि में, मैं अपने देश भारत को ठोस सामाजिक-आर्थिक आधार के साथ स्थायी विकास के अगुआ के रूप में देखता हूं जो सभी निवासियों को व्यापक संभावनाएं प्रदान करता है। भारत धीरे-धीरे अब महाशक्ति बनने के लक्ष्य की ओर अग्रसर है जहां उसकी आवाज स्पष्ट रूप से सुनी जाएगी और जहां वह बराबरी का भागीदार होगा। विभिन्न विकास पहलों के माध्यम से, हम भारत की क्षमता को बढ़ाने और एक खुशहाल, जन नेतृत्व वाला देश बनाने के लिए साथ मिलकर इस यात्रा को शुरू कर रहे हैं। 
(लेखक भारत सरकार में जनजातीय मामलों के मंत्रालय के मंत्री हैं और ये उनके निजी विचार हैं)

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