Pages

डा. जगदीश गांधी ने कब और कैसे शुरू किया सिटी मांटसेरी स्कूल

चिरनिद्रा में लीन हुए विश्व एकता के पुरोधा डा. जगदीश गांधी

लखनऊ। विश्व एकता एवं विश्व शान्ति के पुरोधा भावी पीढ़ी के प्रणेता एवं सिटी मांटसेरी स्कूल के संस्थाक डा. जगदीश गांधी आज 22 जनवरी को तड़के लगभग 12.30 चिर निद्रा में लीन हो गये। प्रख्यात शिक्षाविद् एवं समाजसेवी डा. जगदीश गांधी ने 87 वर्ष की आयु में मेदांता हास्पिटल में अन्तिम सांस ली। डा. गांधी का निधन न सिर्फ सीएमएस परिवार के लिए अपितु सम्पूर्ण शिक्षाजगत व पूरे देश के लिए अपूर्णीय क्षति है, जिसकी भरपाई संभव नहीं हैं। 

डा. जगदीश गांधी ने कब और कैसे शुरू किया सिटी मांटसेरी स्कूल


डा. जगदीश गाँधी का पूरा जीवन विश्व के दो अरब से अधिक बच्चों के उज्जवल भविष्य को समर्पित रहा। इस उद्देश्य के लिए विश्व एकता व विश्व शान्ति की स्थापना के लिए डा. गांधी ने आजीवन अनवरत प्रयास किये। इस दिशा में अनेकों मील के पत्थर स्थापित किये। डा. गांधी के निधन पर पूरे सी.एम.एस. परिवार में शोक की लहर छा गई तथापि चहुंओर से शोक संदेशों व संवेदनाओं का सिलसिला लगातार जारी है। 

सी.एम.एस. प्रधान कार्यालय के प्रेयर हाल में आयोजित शोक सभा में सी.एम.एस. संस्थापिका-निदेशिका डा. भारती गांधी, सी.एम.एस. प्रेसीडेन्ट प्रो. गीता गांधी समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों व कार्यकतार्ओं ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की एवं दिवंगत आत्मा की शान्ति की कामना की। 

इस अवसर पर सी.एम.एस. संस्थापिका-निदेशिका डा. भारती गांधी ने कहा कि डा गांधी प्रत्येक लखनऊवासी के दिलों में सदैव अजर अमर रहेंगे। पूरा सी.एम.एस. परिवार उनके दिखाये आदर्शों पर सतत् आगे बढ़ता रहेगा।

सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी हरि ओम शर्मा ने बताया कि डा. जगदीश गांधी का पार्थिव शरीर कल 23 जनवरी को अपरान्ह: 12:30 बजे से सायं 5:00 बजे तक सी.एम.एस. गोमती नगर द्वितीय कैम्पस में रखा जायेगा, जहां जनमानस उनके अन्तिम दर्शन कर अपनी श्रद्धान्जलि अर्पित कर सकेंगे। इसी कड़ी में आगामी 4 फरवरी, रविवार को अपरान्ह: 1 बजे से डा. जगदीश गांधी की स्मृति सभा में उनके व्यक्त्वि व कृतित्व को याद किया जायेगा।

डा. जगदीश गांधी ने कब और कैसे शुरू किया सिटी मांटसेरी स्कूल


विधान सभा के सदस्य रहे

श्री शर्मा ने बताया कि डा. जगदीश गांधी का जन्म 10 नवम्बर 1936 को अलीगढ़ जिले की सिकन्दराराउ तहसील के ग्राम बरसौली में पटवारी श्री फूलचन्द अग्रवाल के घर में हुअ। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं विनोबा भावे की प्रेरणा से गांधी उपनाम रख लिया। कालान्तर में, डा. गांधी इसी उपनाम से सारे विश्व में विख्यात हुए। डा. जगदीश गांधी 1969 से 1974 तक उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य रहे। इसके अलावा, डा. गांधी लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रसंध के अध्यक्ष भी रहे।



पांच बच्चों से सिटी मोन्टेसरी स्कूल की शुरुआत 

डा. जगदीश गांधी का सम्पूर्ण जीवन भावी पीढ़ी के सर्वांगीण विकास के साथ ही सम्पूर्ण विश्व में एकता व शान्ति स्थापना को समर्पित रहा। इसी उद्देश्य के लिए वर्ष 1959 में पांच बच्चों से सिटी मोन्टेसरी स्कूल की शुरुआत की। लखनऊ में अपने 21 कैम्पसों के माध्यम से 62 हजार छात्रों का सर्वांगीण विकास कर रहा है, जो कि विश्व में एक रिकार्ड है। वर्ष 2001 में सी.एम.एस. को विश्व के सबसे बड़े स्कूल के तौर पर गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकार्ड में शामिल किया गया था, यह रिकार्ड आज भी कायम है। 65 वर्ष पूर्व अपनी स्थापना के समय से ही सी.एम.एस. विश्व एकता व विश्व शान्ति का अलख जगा रहा है और इन्ही पुनीत प्रयासों के लिए सी.एम.एस. को विभिन्न पुरस्कारों से पुरष्कृत कर सम्मानित किया जा चुका है, जिनमें यूनेस्को द्वारा शांति शिक्षा पुरस्कार, डेरोजियो अवार्ड, वर्डलॉन एक्सीलेन्स अवार्ड, आइसलैण्ड, वर्ल्ड चिल्ड्रेन्स प्राइज फॉर द राइट्स आॅफ द चाइल्ड, स्वीडन, लाइफ लिंक कैम्पेन रिकगनीशन, स्वीडन, पीसफुल स्कूल्स इण्टरनेशनल रिकगनीशन, कनाडा, न्यूक्लियर फ्री फ्यूचर अवार्ड आदि प्रमुख हैं। 


विश्व एकता एवं विश्व शान्ति के प्रयासों के तहत डा. जगदीश गाँधी के संयोजकत्व में सी.एम.एस. द्वारा विगत 24 वर्षों से लगातार अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन का आयोजन किया गया। इन अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में 138 देशों के 1429 से अधिक मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश तथा राष्ट्राध्यक्ष प्रतिभाग कर चुके हैं जिन्होंने विश्व एकता, विश्व शान्ति व विश्व के ढाई अरब बच्चों के सुरक्षित भविष्य की मुहिम को भारी समर्थन दिया।


पत्नी, दो पुत्रियां व एक पुत्र

डा. जगदीश गांधी अपने पीछे एक समृद्ध पारिवारिक विरासत भी छोड़ गये हैं, जिनमें उनकी पत्नी डा. भारती गांधी, पुत्र विनय गांधी, पुत्रियां डा. सुनीता गांधी, प्रो. गीता गांधी किंगडन, प्रो. नीता गांधी फारुही एवं नाती-पोते शामिल हैं। 


डा. गांधी ने जीवन पर्यन्त भावी पीढ़ी को भौतिक ज्ञान के साथ ही उनमें जीवन मूल्यों, चारित्रिक गुणों, आध्यात्मिक व नैतिक आदर्शों के विकास पर जोर दिया। उनका मानना था कि उद्देश्यपूर्ण शिक्षा ही भावी पीढ़ी का जीवन पर्यन्त मार्गदर्शन कर उन्हें ह्यसमाज का प्रकाशह्य बनाती है। डा. गाँधी ने सामाजिक उत्थान, भावी पीढ़ी के खुशहाल भविष्य, विश्व एकता एवं विश्व शान्ति के लिए सारा जीवन संघर्ष किया। उनका जीवन दर्शन सभी के लिए प्रेरणास्रोत रहेगा।




एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ