550 करोड़ रु जमा नहीं कर रहे व्यावसायिक संपत्तियों के आवंटी
30 दिन में पैसा न जमा होने पर आवंटन निरस्त करेगा एलडीए
लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण के व्यावसायिक संपत्तियों के आवंटी शुल्क नहीं जमा कर रहे हैं। ऐसे 47 भूखण्डों पर 400 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। इसी तरह व्यावसायिक संपत्तियों पर करीब 150 करोड़ रुपये का बकाया है। एलडीए यह बकाया न जमा करने वाले आवंटियों पर शिकंजा कसने जा रहा है। एलडीए की ओर से बकाया राशि की वसूली के लिए आवंटियों को नोटिस जारी की जाएगी। इसके बाद प्राधिकरण भूखंडों व दुकानों का आवंटन निरस्त कर दोबारा नीलामी करेगा।
एलडीए ने विभिन्न योजनाओं में 47 भूखण्डों को नीलामी के जरिए बेचा है। लेकिन खरीददार सरकारी खजाने के करोड़ों रुपये दबाए हुए हैं। इससे एलडीए को आर्थिक नुकसान हो रहा है। साथ ही निबंधन विभाग को भी रजिस्ट्री कराने के लिए स्टांप शुल्क नहीं मिल पा रहा है। एलडीए की जांच में सामने आया है कि करीब 400 करोड़ रुपये से अधिक बकाया ऐसे भूखंडों पर है। ऐसे बकाएदारों की फाइलें खंगाली जा रही हैं। अभी 2005 से अब तक कामर्शियल प्लाटों के हुए आवंटनों की कुल फाइलों की जांच कराई गई है।
सीजी सिटी, गोमती नगर, गोमती नगर विस्तार, आशियाना और जानकीपुरम में हुए इन आवंटनों की जांच में पता चला है कि करोड़ों का बकाया आवंटियों पर है। इनमें से कई ने तो पंजीकरण कराने के बाद एक भी किश्त नहीं जमा की है जबकि कई आवंटी ऐसे हैं जिन्होंने 50 फीसदी ही शुल्क जमा किया है। उपाध्यक्ष के निर्देश पर हुई जांच में एलडीए के कास्टिंग विभाग ने सूची तैयार की है जो कि बाकी किस्त जमा नहीं करके बाद डिफॉल्टर बने हुए हैं। कुछ का आवंटन निरस्त किया जाना था, लेकिन उस समय के अधिकारियों की मिलीभगत से ऐसा नहीं हो सका।
प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने बकायेदारों से वसूली के सम्बंध में सख्त निर्देश दिए। अब समस्त बकायेदारों को नोटिस जारी की गई। उन्हें एक महीने में अवशेष धनराशि जमा करनी होगी, नहीं तो एलडीए नियमानुसार नोटिस जारी करते हुए उनकी सम्पत्ति का आवंटन निरस्त करने की कार्रवाई करेगा। लगातार तीन किश्तें न जमा करने वाले आवंटियों को नोटिस दी गई है। अकेले सीजी सिटी स्थित सीबीडी योजना में एक भूखण्ड जो कि लगभग 180 करोड़ रुपये में बिका था। साल 2024 में इसे नीलामी के जरिए बड़ी कंपनी ने खरीदा था, लेकिन कंपनी ने पैसा नहीं जमा किया है।
बकाएदारों की सूची सामने आने पर उपाध्यक्ष ने नाराजगी जताते हुए अधिकारियों से पूछा कि अब तक इन बकायेदारों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गयी। समीक्षा में यह भी उजागर हुआ कि ऐसे कई आवंटी हैं, जिन पर सम्पत्ति के कुल मूल्य का 50 प्रतिशत या उससे अधिक का बकाया हैं और उन्होंने चार से पांच साल में कोई भुगतान नहीं किया है। इस पर उपाध्यक्ष ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि ऐसे समस्त डिफाल्टर आवंटियों को नोटिस जारी किया जाए। एक महीने में बकाया धनराशि जमा न किये जाने पर नियमानुसार कार्यवाही करते सम्पत्ति का आवंटन निरस्त किया जाए। इसके बाद व्यावसायिक सम्पत्तियों को पुन: ई-नीलामी के माध्यम से नये सिरे से निस्तारित किया जाए। गोमती नगर, गोमती नगर विस्तार, जानकीपुरम, जानकीपुरम विस्तार, शारदा नगर, सीजी सिटी, कानपुर रोड व ट्रांसपोर्ट नगर समेत अन्य योजनाओं में स्थित व्यावसायिक, ग्रुप हाउसिंग, स्कूल, नर्सिंग होम, फैसेल्टीज, होटल, सीएनजी स्टेशन, पेट्रोल पम्प आवासीय व मिश्रित भू-उपयोग के भूखण्डों के आवंटियों पर बकाया है।
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