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राहत : उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के इन जिलों में लगेगा ऑक्सीजन संयंत्र

पीएम केयर्स के माध्यम से देश भर में कुल 551 संयंत्र लगाये जायेंगे

प्रधानमंत्री ने कहा- जल्द जल्द से शुरु किए जाये यह संयंत्र

 

लख़नऊ। अस्पतालों में ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ाने के प्रधानमंत्री के निर्देश के तहतपीएम केयर्स फंड ने देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 551 समर्पित पीएसए (प्रेशर स्विंग ऐड्सॉर्प्शन) चिकित्सा ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की स्थापना के लिए धन आवंटन को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। पीएम ने निर्देश दिया है कि इन संयंत्रों को जल्द से जल्द शुरू किया जाए। उन्होंने कहा कि इन संयंत्रों से जिला स्तर पर ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने में काफी मदद मिलेगी। पीएम केयर्स फंड ने इस साल की शुरुआत में देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों पर अतिरिक्त 162 डेडिकेटेड प्रेशर स्विंग ऐड्सॉर्प्शन (पीएसए) मेडिकल ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र लगाने के लिए 201.58 करोड़ रुपये आवंटित किए थे।

उत्तर प्रदेश में कुल 47 और उत्तराखंड में 7 जिलों में चिकित्सकीय आक्सीजन के इन संयंत्रो को लगाया जायेगा। उतर प्रदेश के जिन जिलो में आक्सीजन संयत्र लगाने की मंजूरी मिली है। उसमें लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, आगरा, अलीगढ, आजमगढ, बहराइच, बलिया, बाराबंकी, बरेली, बस्ती, बंदायू, बुलंदशहर, देवरिया, ईटावा, फैजाबाद, फरुखाबाद, फतेहपुर, फिरोजाबाद, गौतमबुद्दनगर, गाजियाबाद, गाजीपुर, गोंडा, हरदोई, जालौन, जौनपुर, झांसी, कन्नौज, कानपुरनगर, लखीमपुरखीरी, ललितपुर, मथुरा, मेरठ, मिर्जापुर, मुरादाबाद, मुज्जफरनगर, पीलीभीत, प्रतापगढ, प्रयागराज, रायबरेली, रामपुर, सहारनपुर, शाहजहांपुर, सीतापुर, सुल्तानपुर और उन्नाव है। वहीं उतराखंड के जिन जिलों में आक्सीजन संयंत्र लगाने को मंजूरी दी गयी है उनमें अल्मोडा, देहरादून, नैनीताल, पौड़ी गढवाल, पिथौरागढ, उधम सिंह नगर और उत्तर काशी शामिल है। पीएम केयर्स फंड ने इस साल की शुरुआत में देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों पर अतिरिक्त 162 डेडिकेटेड प्रेशर स्विंग ऐड्सॉर्प्शन (पीएसए) मेडिकल ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र लगाने के लिए 201.58 करोड़ रुपये आवंटित किए थे।

जिला मुख्यालयों के सरकारी अस्पतालों में पीएसए ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को और मजबूत करना है और यह सुनिश्चित करना है कि इनमें से प्रत्येक अस्पतालों में कैप्टिव ऑक्सीजन उत्पादन की सुविधा बनी रहे। इस तरह से अपने स्तर पर ऑक्सीजन उत्पादन सुविधा से इन अस्पतालों और जिले की दिन-प्रतिदिन की मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरतें पूरी हो सकेंगी। इसके अलावातरल चिकित्सा ऑक्सीजन (एलएमओ) कैप्टिव ऑक्सीजन उत्पादन के 'टॉप अपके रूप में काम करेगा। इस तरह की प्रणाली यह सुनिश्चित कर सकेगी कि जिले के सरकारी अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति में अचानक व्यवधान न उत्पन्न हो सके और कोरोना मरीजों व अन्य जरूरतमंद मरीजों के लिए निर्बाध रूप से पर्याप्त ऑक्सीजन मिल सके।

 

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