लखनऊ। श्रीराम लीला समिति ऐशबाग लखनऊ के तत्वावधान में रामलीला मैदान के तुलसी सभागार में लाइव ऑनलाइन चल रहे रामोत्सव-2021के आठवें दिन गुरुवार को माता सीता की खोज, स्वयंप्रभा मिलन, हनुमान का लंका प्रस्थान, सीता रावण संवाद, अशोक वाटिका विध्वंस और लंका दहन लीला ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। रामलीला के पूर्व पकंज चौहान के निर्देशन में एबीसीडी रॉकर्स डान्स एकेडमी के कलाकारों ने नृत्य नाटिका के माध्यम से भगवती देवी दुर्गा की भक्ति के सागर में आकण्ठ डुबोया। भक्ति भावना से ओतप्रोत इस प्रस्तुति के उपरान्त राघवेन्द्र प्रताप सिंह व साथी कलाकारों ने स्तुति नृत्य की मनोहारी प्रस्तुति दी।
रामलीला की शुरूआत सीता खोज से हुई। बालि के वध के उपरान्त हनुमान, जामवंत, अंगद सहित तमाम वानर सेना सीता की खोज में निकल पड़ते हैं। वन-वन, पर्वत-पर्वत सीता को खोजते हुए जब सारी वानर सेना थक हार जाती है तो वानर सेना के सेनानायक कहते हैं कि सारी जगह सीता को ढूंढ लिया है,वह कहीं नही मिली, अब तो आत्महत्या करने का मन करता है। इसी बीच छोटी पहाड़ी पर एक बहुत बड़ा पक्षी बैठा उन लोगों की बातें सुन रहा था, तभी उस पक्षी ने उन लोगों को अपने पास बुलाया और उनकी पूरी बात सुनने के बाद अपना परिचय सम्पाती के रूप में दिया। सम्पाती ने उनको बताया कि सीता को रावण अपने साथ समुद्र पार करके लंका ले गया है।इतना सुनने के बाद वानर सेना में हर्ष की लहर छा जाती है, लेकिन दूसरी ओर सभी लोग व्याकुल होते हैं कि समुद्र को पार कैसे किया जायेगा, इस बात को सुनकर जामवन्त, हनुमान को उनकी शक्ति का भान कराते हैं। फिर हनुमान को अपनी शक्ति की याद आती है और वह 100 योजन समुद्र पर उड़कर लंका पहुंचते हैं। वहीं अन्य प्रसंगों में लंका का राजा रावण, अशोक वाटिका में रह रहीं सीता के पास पहुंचता है और उनसे विवाह की इच्छा प्रकट करता है। जिसे सुनने के बाद सीता, रावण से कहती हैं कि राम के होते हुए वह किसी पराए पुरूष की ओर देखना तो दूर सोच भी नही सकती हैं, विवाह तो बहुत दूर की बात है। इस बात से रावण को काफी क्रोध आता है और वह वहां से चला जाता है।
इसके उपरान्त सीता हनुमान संवाद लीला हुई। सीता को खोजते हुए हनुमान जब अशोक वाटिका में अशोक के वृक्ष के नीचे बैठी सीता को देखते हैं तो वह काफी प्रसन्न होते है और राम द्वारा प्रदान की गई हुई अंगूठी को वह उनकी गोद में फेकते हैं। अंगूठी को देखकर सीता यहां वहां चारों ओर देखती हैं, लेकिन उन्हें कोई दिखाई नही पड़ता है। अंगूठी को पाकर वह सोचती हैं कि यह उनके पास कैसे आई, इसी बीच हनुमान उनके पास हाथ जोड़कर पहुंचते हैं और पूरा वृतान्त सुनाते हैं। यह जानने के बाद की हनुमान, राम के दूत हैं तो सीता को काफी प्रसन्नता होती है और वह उनसे कहती हैं कि उनसे कहिए कि मुझे यहां से ले जाएं। हनुमान सीता से कहते हैं कि माता आप परेशान न हों, प्रभु आपको लेने के लिए स्वयं यहां आयेंगे। जब हनुमान सीता की आज्ञा से वाटिका के फलों को खाकर इधर उधर फेंक रहे थे तो लंका के सैनिको ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, लेकिन वह न माने। उन्होंने काफी सैनिको का संहार किया। इस बात की खबर जब लंका नरेश को हुई तो उन्होंने अपने पुत्र मेघनाथ को उस वानर को मारने के लिए वाटिका में भेजा, लेकिन वह हनुमान को बांधकर रावण के पास ले जाता है। इसके उपरान्त रावण हनुमान को मृत्यु दण्ड का आदेश देते हैं, लेकिन रावण के मंत्री कहते हैं कि किसी दूत को मृत्यु दण्ड देना उचित नही, इसे कुछ और दण्ड दिया जाये। इस पर रावण हनुमान की पूंछ को जलाने का आदेश देते हैं। हनुमान अपनी पूंछ में लगी हुई आग से सम्पूर्ण सोने की लंका को जलाकर राख कर देते हैं। इसी के साथ आज की रामलीला का समापन हो जाता है।ऑनलाइन रामलीला के उपरान्त आज ’तुलसी शोध संस्थान’ द्वारा पं. आदित्य द्विवेदी के संयोजन में ’काव्य संगम’ का आयोजन किया गया। जिसमें मंजूल मंजर, डॉ. हरि फैजाबादी, डॉ. अरविन्द झा, सतीश रूजर, आलम फैजाबादी और अलका अस्थाना ने अपनी भक्तिपूर्ण कविताओं से श्रोताओं को भाव विभोर किया। इस अवसर पर श्रीराम लीला समिति ऐशबाग के अध्यक्ष हरीशचन्द्र अग्रवाल, सचिव पं. आदित्य द्विवेदी, प्रमोद अग्रवाल उपस्थित थे।
रावण दहन शुक्रवार को
विजयदशमी के अवसर पर 15 अक्टूबर को रामलीला मैदान में 80 फीट के रावण के पुतले का दहन किया जायेगा। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा शामिल होगे। इसके अलावा प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री आशुतोश टण्डन और बृजेश पाठक भी समारोह में उपस्थित रहेंगे। इस बात की जानकारी श्री राम लीला समिति ऐशबाग के अध्यक्ष हरिश्चन्द्र अग्रवाल व सचिव पं. आदित्य द्विवेदी ने दी।
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