लखनऊ। उप्र ऊर्जा निगमों में प्रबन्धन द्वारा तानाशाहीपूर्ण ढंग से अन्याय व उत्पीड़न किये जाने से व्याप्त रोष, कारपोरेशन में उत्पन्न किये गये भय के वातावरण में बगैर संसाधनों व अत्यन्त मानसिक कष्ट में कार्य कर रहे सभी अभियन्ताओं व अवर अभियन्ताओं ने समस्याओं का समाधान न होने, शीर्ष स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार के विरोध में आंदोलन तेज कर दिया है। सविनय अवज्ञा आन्दोलन एवं प्रबन्धन के साथ पूर्ण असहयोग के क्रम में बिजली इंजीनियरों ने 4 से 6 अप्रैल तक घोषित सामूहिक अवकाश के आवेदन बड़े पैमाने पर देना प्रारम्भ कर दिया है। शान्तिपूर्ण ध्यानाकर्षण सविनय अवज्ञा आन्दोलन के तहत गुरुवार को पूरे प्रदेश में सभी परियोजनाओं एवं जिला मुख्यालयों पर अभियन्ताओं व अवर अभियन्ताओं ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। जिसमें सैकड़ों अभियन्ता व अवर अभियन्ता सम्मिलित हुए। हालांकि 25 मार्च को प्रदेश में नयी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह होने के कारण राजधानी मुख्यालय में विरोध सभा स्थगित रखने का निर्णय लिया गया है। लेकिन अन्य समस्त जनपद एवं बिजली परियोजना गृहो पर पूर्व से घोषित कार्यक्रम यथावत जारी रहेगा।
संगठन के पदाधिकारियों वीपी सिंह, जीबी पटेल, प्रभात सिंह, जय प्रकाश ने जारी बयान में बताया कि उप्र के ऊर्जा निगमों के प्रबन्धन द्वारा ईआरपी प्रणाली खरीद एवं बिजली क्रय करने में उच्च स्तर पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। ईआरपी प्रणाली पर अरबों रूपये खर्च करने के बाद भी विभागीय कार्यप्रणाली अनुरूप नहीं है। ना ही इसका समुचित प्रशिक्षण दिया गया है और न ही इसके क्रियान्वयन हेतु आवश्यक मूलभूत इंफ्रास्ट्रक्चर एवं मैन पावर दी गयी है। इसके बावजूद निजी कम्पनी द्वारा दिये गये सॉफ्टवेयर के अनुरूप ही दबाव डालकर अभियन्ताओं को कार्य करने हेतु बाध्य किया जा रहा है। पदाधिकारियों ने बताया कि ऊर्जा निगमों में विद्युत उत्पादन एवं विद्युत आपूर्ति के लिए आवश्यक न्यूनतम मैन, मनी, मैटीरियल उपलब्धता सुनिश्चित किये जाने में ऊर्जा निगम प्रबन्धन पूर्ण रूप से विफल रहा है एवं अपनी विफलता छुपाने के लिए प्रबन्धन द्वारा तरह-तरह के बेनियम आदेश जारी कर अभियन्ताओं को उलझाये रखा जा रहा है। संसाधनों की मांग करने वालों व विरोध करने वालों पर दण्डात्मक कार्यवाही की जा रही है। इससे जहां प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरूप सबको बिजली हरदम बिजली के लक्ष्य को पूर्ण कर पाने में बिजली कर्मियों को काफी दिक्कतें आ रही हैं वहीं दूसरी ओर ऊर्जा निगमों में भययुक्त वातावरण एवं नकारात्मक कार्य प्रणाली स्थापित हो रही है। ऊर्जा निगमों में शीर्ष प्रबन्धन की इस प्रकार की कार्य प्रणाली से समस्त बिजली कर्मियों का मनोबल गिरा हुआ है। यह न तो प्रदेश हित में है और न ही ऊर्जा निगमों के हित में है।
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