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राजा दशरथ द्वार मची होरी

फागोत्सव का तीसरा दिन : होली बैठकी में दिखे विविध रंग

लखनऊ। लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा आयोजित फागोत्सव के तीसरे दिन गोमतीनगर स्थित संगीत भवन परिसर में लोक संस्कृति के विविध रंगों की सांगीतिक फुहार में लोग सराबोर हुए। हुरियारों ने अवधी, ब्रज, भोजपुरी, बुन्देली और बांग्ला के होरी गीतों के साथ झांझ, करताल और ढोलक की थाप पर उत्सव की खुशियां साझा कीं। कार्यक्रम की शुरुआत वरिष्ठ लोकगायिका विमल पन्त ने की। उन्होंने राजा दशरथ द्वार मची होरी के साथ ही कई पारम्परिक गीत गाये। 

वरिष्ठ संगीत गुरु गायत्री डेविड ने बांग्ला होरी गीत ओरे भाई फागुन लेगेचे बोने बोने सुनाया। लोक नृत्य विशेषज्ञ ज्योति किरन रतन, नेहा प्रजापति, सुमन मिश्रा ने मनोहारी नृत्य किया। शशांक शर्मा के हारमोनियम और अरुण शर्मा के ढोलक और झांझ करताल पर अरुणा उपाध्याय ने मोरी चुनर में लग गयो दाग री ऐसो चटक रंग डारो, शारदा शुक्ला ने लाल गुलाबी रंग डारो होली आई रे रसिया, चित्रा जायसवाल ने नेक ठाढ़े रहो श्याम रंग डारुंगी सुनाया।

सुनीता श्रीवास्तव ने अउर महीनवा में खेले न खेलें फगुनवा में देवी देवता खेलें, ममता यादव ने गणपति खेलैं रंग कै होरी, नीली श्रीवास्तव ने दोउ राजदुलारे रंग खेलत सरजू के तीर, सौरभ कमल ने रंग डारो न कान्हा भीजत चुनरी सुनाया। कार्यक्रम में आईएफएस अधिकारी एन.रवीन्द्रन, ताल वाद्य विशेषज्ञ शेख मोहम्मद इब्राहिम, रेखा सेन गुप्ता, मीता चटर्जी, टी. के. भट्टाचार्य, प्रवीन गौड़, पूनम सिंह, माधुरी सोनी, सविता शर्मा, कामिनी श्रीवास्तव, आशा श्रीवास्तव आदि की प्रमुख उपस्थिति रही।

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