google.com, pub-1705301601279513, DIRECT, f08c47fec0942fa0/> यूपी की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनीं 'बैंक वाली दीदी'

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यूपी की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनीं 'बैंक वाली दीदी'

- मुख्यमंत्री योगी की पहल से राधा को प्रति माह 25,000 से 27 हजार रुपये की हो रही कमाई

- ‘एक ग्राम पंचायत, एक बीसी सखी’ के तहत योगी सरकार ने की 58,000 बीसी सखियों की भर्ती

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में महिलाएं न सिर्फ आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि प्रदेश और देश की अर्थव्यवस्था में योगदान भी दे रही हैं। ग्रामीण अयोध्या की 22 वर्षीय गृहिणी राधा इसकी मिसाल हैं। राधा उत्तर प्रदेश में कार्यरत 58,000 बीसी सखियों में से एक हैं, जो अपने जिले के गांव-गांव के लोगों को बैंकिंग सेवाएं प्रदान करते हुए आत्मनिर्भर हो गई हैं। वह अपने परिवार को अपने गांव में एक सभ्य जीवन देने में भी सक्षम रही हैं। वह कहती हैं, हर कोई मुझे 'बैंक वाली दीदी' के रूप में बुलाता है। वे मुझे देर रात पैसे निकालने व जमा करने के लिए बुलाते हैं। मुझे उनकी मदद करने में खुशी होती है। 

मदद करना बहुत अच्छा लगता है

राधा कहती हैं कि एक बार, एक स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) सदस्य के पति का एक्सीडेंट हो गया। वह अपने बैंक खाते से पैसे निकालना चाहती थी, लेकिन रात में बैंक शाखा नहीं जा सकी इसलिए, उसने मुझे फोन किया। मैं तुरंत उसके घर पहुंची और रकम निकालने में उसकी मदद की। संकट में किसी की मदद करना बहुत अच्छा लगता है।

मई, 2020 में हुई थी शुरुआत

बीसी सखी योजना की शुरुआत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 22 मई, 2020 को राज्य की महिलाओं को रोजगार के अवसर देकर लाभान्वित करने और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए की थी। कार्यक्रम को एनआरएलएम द्वारा तैयार की गई ‘एक ग्राम पंचायत - एक बीसी सखी’ पहल के तहत डिजाइन किया गया था। तब उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी लगभग 31,719 महिलाएं बैंकिंग सखी के रूप में इस योजना में शामिल हुई हैं और गांवों में लोगों को बैंकिंग सेवाएं प्रदान कर रही हैं। इस पहल के तहत, उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (यूपीएसआरएलएम) राज्य में 58,000 बीसी सखियों की भर्ती और संचालन कर रहा है।

75 हजार रुपये की सहायता

अपने गांव की एकमात्र योग्य महिला होने के नाते, राधा ने बैंकिंग सखी की नौकरी की। इस प्रयास में उनके पति ने उनका साथ दिया और जल्द ही राधा को प्रशिक्षण मिल गया। उन्हें सितंबर, 2021 में एसएचजी से ऋण के रूप में 75,000 रुपये की सहायता मिली। दिसंबर, 2021 में उन्होंने बीसी एजेंट के तौर पर काम करना शुरू किया और अपने घर से ही अपना कारोबार चलाने लगीं। बाद में उन्होंने पंचायत भवन के पास अपना कार्यालय स्थापित करवाया।

1.5 करोड़ रुपये का मासिक लेनदेन

राधा लगभग 1.5 करोड़ रुपये का मासिक लेनदेन करती हैं और 25,000 रुपये से 27,000 रुपये का कमीशन कमाती हैं। जून 2022 तक उन्होंने 150 से अधिक प्रधानमंत्री जन धन योजना खाते खोले हैं, जिनमें ज्यादातर उनकी ग्राम पंचायत में महिलाएं हैं। वह लोगों को नकद निकासी, नकद जमा, घरेलू धन हस्तांतरण (डीएमटी), बिल भुगतान (उपयोगिताएं), निवेश (आरडी और एफडी), बीमा (पीएमएसबीवाई और पीएमजेजेबीवाई) और पेंशन (एपीवाई) सेवाएं प्रदान करती हैं।

महिलाओं को प्रोत्साहन

वह दैनिक आधार पर नकद जमा या निकासी लेनदेन के लिए 2,00,000 रुपये की नकदी को संभालने के दौरान बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ 43,000 रुपये की ओवरड्राफ्ट सुविधा का लाभ उठाती हैं। तरलता बनाए रखने और नकदी की कमी से बचने के लिए उन्होंने कार्यशील पूंजी के रूप में 1,30,000 रुपये का निवेश किया। राधा बताती हैं कि उनकी 50 प्रतिशत से अधिक ग्राहक महिलाएं हैं। महिला ग्राहकों को महिला एजेंटों से संपर्क करना आसान, भरोसेमंद और गोपनीयता बनाए रखने में उचित लगता है। 

महिलाओं के लिए अपार संभावनाएं

मुख्यमंत्री योगी की पहल से 31 हजार से अधिक महिलाओं को 2020 से 13 करोड़ रुपये से अधिक कमाने में मदद मिली है। उत्तर प्रदेश में अब तक बैंकिंग सखी से जुड़ी महिलाओं द्वारा 51,75,01,94,777 रुपये से अधिक के कुल 2,31,55,825 लेनदेन किए गए हैं, जो दर्शाता है कि यह योजना ग्रामीण महिलाओं को स्वतंत्र, स्वाभिमानी और आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर रही है। बैंकिंग सखियों ने अब तक राज्य में 13,39,15,588 रुपये से अधिक का कमीशन अर्जित किया है जबकि ग्रामीणों के जीवन को और अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए बैंकों को उनके दरवाजे तक लाया है। बीसी योजना गांवों और शहरों दोनों में 24 घंटे बैंकिंग सेवाएं प्रदान कर रही है। इसमें विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली लाखों महिलाओं को रोजगार प्रदान करने की अपार संभावनाएं हैं।

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