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अटल जी के सपनों को साकार कर रहा महाविद्यालय - योगेंद्र उपाध्याय

नेताजी सुभाषचंद्र बोस राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय में रजत जयंती समारोह का आगाज

लखनऊ। अटलजी का व्यक्तित्व वैश्विक था और वे वास्तव में विश्व राजनीति की अमूल्य धरोहर है। उनका समावेशी जीवन दर्शन अनुकरणीय था और वो सच्चे अर्थों में दीन दयाल उपाध्याय की विचारधारा के पोषक थे। उक्त विचार नेताजी सुभाषचंद्र बोस राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय में शनिवार को रजत जयंती समारोह के उद्रघाटन में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने व्यक्त किये। 
"भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेई मानवता राष्ट्रवाद एवं राजनीति के कालजई अग्रदूत” विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में का शुभारंभ करने के बाद उन्होंने कहा कि अटल जी अजातशत्रु थे और उनके अंदर समन्वय करने की अद्भुत क्षमता थी। उनके विचार पहले भी प्रासंगिक थे और आज भी प्रासंगिक हैं। वास्तव में अटल जी और उनके विचार कालजयी हैं। 
बतौर विशिष्ट अतिथि मौजूद क्षेत्रीय विधायक डा. नीरज बोरा ने कहाकि देखते ही देखते इस महाविद्यालय ने 25 वर्ष पूरे कर लिए, ऐसा लग रहा है कि कल की बात हो। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बेटियों को शिक्षित करने के लिए राजधानी में दो महाविद्यालय की संकल्पना की थी। अलीगंज व राजाजीपुरम में खुले दोनों महाविद्यालय अटलजी के लगाए हुए पौधे हैं जो आज विशाल वट वृक्ष बन चुके हैं। 

उन्होंने कहा कि अपने कार्यकाल में अटल जी ने विज्ञान पर काफी फोकस किया था, जिसके बाद देश में विज्ञान ने काफी तरक्की की है। उसी का परिणाम था कि पीएम नरेंद्र मोदी की पहल पर भारतीय वैज्ञानिकों ने मात्र 9 माह में कोविड वैक्सीन तैयार करने में सफलता हासिल की। इस महाविद्यालय में जिस तरह का शैक्षणिक माहौल है उससे विश्वास है कि शिक्षा ग्रहण करने के बाद छात्राएं देश विदेश में महाविद्यालय का नाम रौशन करेंगी। विशिष्ट अतिथि लखनऊ विवि के कुलपति प्रो. आलोक राय ने कहाकि अटल जी को लखनऊ से विशेष प्रेम था और एलयू अटल जी के सपनों को पूरा कर रहा है। 
नालन्दा विवि के संस्कृत के विभागाध्यक्ष और भाउराव देवरस न्यास से जुड़े प्रो. विजय कर्ण ने बताया कि अटल जी न्यास के पहले और संस्थापक अध्यक्ष थे। उनके अंदर सेवा भाव भरा हुआ था। इग्नू की क्षेत्रीय निदेशक प्रो. मनोरमा सिंह ने भी अटलजी को विराट व्यक्ति बताते हुये कहाकि उनकी समावेशी राजनीति और समाज के प्रति उनकी करुणा सदैव अनुकरणीय रहेगी।
प्राचार्या प्रो. अनुराधा तिवारी ने सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर उनका स्वागत किया। उन्होंने कहाकि 99 छात्राओं से शुरू हुआ ये महाविद्यालय वर्तमान में 2500 छात्राओं का महाविद्यालय बन चुका है, जहां समाज के सभी वर्गों की छात्राएँ पढ़ रही हैं। विज्ञान वाणिज्य और कला में स्नातक व पाँच विषयों में स्नातकोत्तर कक्षाएँ, नैक द्वारा दो बार बी ग्रेड मिलना इसकी पच्चीस साल की  उपलब्धियों का साक्षी है। 
उन्होंने कहाकि अटल जी ने इस महाविद्यालय के लिए जो स्वप्न देखा था उसे पूरा करने की ज़िम्मेदारी सिर्फ़ शिक्षकों और छात्राओं की ही नहीं बल्कि समाज की भी है। उन्होंने महाविद्यालय के पच्चीस वर्ष पूर्व हुए कालेज के उद्घाटन के उन पलों को भी याद किया जब उनकी अटल जी से इसी महाविद्यालय में स्नेहिल भेंट हुई थी। गोष्ठी के संयोजक डा. राजीव यादव ने गोष्ठी की थीम प्रस्तुत करते हुए कहाकि अटल का मतलब देश के लिए अपरिहार्य होना है। आयोजन सचिव डा. जय प्रकाश वर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। गोष्ठी का संचालन डा. शालिनी श्रीवास्तव एवं डा. श्वेता भारद्वाज ने संयुक्त रूप से किया। गोष्ठी में देश के विभिन्न भागों से आये शोधार्थियों शिक्षाविदो और कुलपतियों ने हिस्सा लिया।
मुख्य अतिथि ने इस अवसर पर ई स्मारिका और संस्थागत नवाचार परिषद के समाचार का विमोचन भी किया। इसी के अंतर्गत आईआईसी की अध्यक्ष डा. पूनम वर्मा के निर्देशन में लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन भी अतिथियों ने किया। मुख्य अतिथि द्वारा महाविद्यालय में पिछले पच्चीस वर्षों में सेवारत रहे और वर्तमान में अवकाश प्राप्त प्राचार्यों एवं शिक्षकों का अभिनंदन भी किया गया।
इस अवसर पर रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया मुंबई के आर्थिक एवं नीति अनुसंधान विभाग के निदेशक डा. विनीत  कुमार श्रीवास्तव विशेष तौर पर मौजूद रहे। संगोष्ठी के प्रथम दिवस पर 2 तकनीकी सत्र आयोजित किए गए।प्रथम तकनीकी सत्र का शीर्षक "भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेई और सामाजिक आर्थिक मानवीय मूल्य" था। इस सत्र की अध्यक्षता प्रो. मनोज अग्रवाल (विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय) ने की और बतौर उपाध्यक्ष डॉ. सनोवर हैदर (एसोसिएट प्रोफेसर एमबीपी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय लखनऊ) मौजूद रहीं।  इसी सत्र में विशिष्ट वक्ता डॉ. सुभाष मिश्र (एसोसिएट प्रोफेसर बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय) लखनऊ रहे। अर्चना सिंह (असिस्टेंट प्रोफेसर आरएमपी पीजी कॉलेज सीतापुर) ने रिपोर्टर के दायित्व का निर्वहन किया। सत्र का आयोजन महाविद्यालय की तरफ से डॉ. मीनाक्षी शुक्ल एवं डॉ. राहुल पटेल ने किया। इस सत्र में कुल 40 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। राष्ट्र की अवधारणा एवं वर्तमान संदर्भ विषयक द्वितीय तकनीकी सत्र प्रो. विजेंद्र पांडे (प्रोफेसर, विद्यांत पीजी कॉलेज) की अध्यक्षता में आयोजित हुआ। जिसमें उपाध्यक्ष डॉ. दीपक कुमार सिंह (एसोसिएट प्रोफेसर डीएवी पीजी कॉलेज) रहे। सत्र आयोजन  महाविद्यालय की डॉ. पूनम वर्मा एवं डॉ. अरविंद द्वारा किया गया। इस अवसर पर रजत जयंती समारोह के लोगो की संकल्पना एवं संरचना हेतु डॉ. पूनम वर्मा एवं महाविद्यालय के कुल गीत की रचना के लिए डॉ. भास्कर शर्मा जी को सम्मानित किया गया।

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