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अभियन्ता दिवस पर बिजली इंजीनियरों ने की ये मांग

लखनऊ। प्रदेश के बिजली अभियन्ताओं ने बिजली बोर्ड के विघटन/कम्पनीकरण, फ्रेंचाईजीकरण एवं निजीकरण के विफल प्रयोगों से सबक लेते हुए प्रदेश हित में नोयडा एवं आगरा के फ्रेंचाईजीकरण के करार निरस्त कर सभी ऊर्जा निगमों का एकीकरण करते हुए उप्र राज्य विद्युत परिषद की पुनर्स्थापना करने और निजी घरानों पर अतिनिर्भरता बन्द करने की मांग केन्द्र एवं प्रदेश सरकार से की है। अभियन्ताओं ने यह मांग उप्र राज्य विद्युत परिषद अभियन्ता संघ द्वारा गुरुवार को आयोजित ‘अभियन्ता दिवस समारोह’ में की। अभियन्ताओं ने प्रदेश सरकार से हर वर्ष अभियन्ता दिवस को राजकीय समारोह के रूप में आयोजित करने की भी मांग की। 

अभियन्ता दिवस समारोह में बतौर मुख्य वक्ता मौजूद ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने भारत रत्न सर एम. विश्वेश्वरैया एवं अन्य महान अभियन्ताओं के सराहनीय कार्यों पर प्रकाश डालते हुए कहाकि प्रदेश की जनता के लिए यह अत्यन्त कष्टकारी है कि नये-नये प्रयोगों व ऊर्जा क्षेत्र के कुप्रबन्धन के कारण 21वीं सदी में भी प्रदेश की जनता को गुणवत्तापूर्ण, निर्बाध एवं सस्ती बिजली नहीं मिल रही है। उन्होंने बताया कि 1973 में उप्र राज्य विद्युत परिषद के अध्यक्ष पद पर बिजली अभियन्ता की तैनाती के साथ सचिव (ऊर्जा) के पद पर भी बिजली अभियन्ता तैनात किये गये। यह परम्परा 1981 तक जारी रही। महान अभियन्ता इं. केएल राव की ही देन है ग्रामीण विद्युतीकरण, जिससे आज प्रत्येक गांव रोशन है। बाद में वह ऊर्जा मंत्री भी रहे। यह हर्ष का विषय है कि मिसाइल मैन के नाम से प्रसिद्ध डा. एपीजे अब्दुल कलाम ऐसे एकमात्र इंजीनियर हैं जो देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति पद तक पहुंचे हैं। उप्रराविप के अध्यक्ष व ऊर्जा सचिव रह चुके इं. एलबी तिवारी को 1974 में तकनीकी विभाग का सचिव तैनात कर यह संदेश दिया गया कि सरकार की सोच बदल रही है और तकनीकी कार्यों का दायित्व तकनीकी हाथों में ही दिया जायेगा। परन्तु आज स्थितियां इसके उलट हैं, ऊर्जा निगमों का प्रबन्धन टेक्नोक्रेट्स के हाथों में न होकर ब्यूरोक्रेट्स के हाथ में है। जिससे ऊर्जा जैसे तकनीकी विभागों का कुप्रबन्धन चरम पर है एवं कुल सकल घाटा 95 हजार करोड़ से अधिक हो गया है, जो बढ़ता ही जा रहा है। इसके बावजूद ऊर्जा निगमों में तैनात अभियन्ताओं की दक्षता एवं मेहनत से अभियन्ताओं द्वारा वर्तमान माह में 26500 मे0वा0 से अधिक विद्युत का सफल पारेषण व वितरण किया गया।
विद्युत अभियन्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष इ. एके सिंह ने बताया कि देश में सबसे पहले 400केवी पारेषण लाइन व उपकेन्द्र की परिकल्पना, निर्माण व संचालन का यशस्वी कार्य, 100 मेगावाट एवं 200 मेगावाट की तापीय इकाईयाँ डिजाइन करने व सफलतापूर्वक संचालित करने वाला अग्रणी उप्र बिजली बोर्ड ही है। आज कम लोग यह जानते हैं कि देश की महारत्न कम्पनी एनटीपीसी के गठन व प्रारम्भिक वर्षों में संचालन का कार्य उप्रराविप के अभियन्ताओं ने ही किया है।
विद्युत अभियन्ता संघ के अध्यक्ष इं. पल्लब मुकर्जी एवं महासचिव प्रभात सिंह ने कहाकि वर्तमान में दूरदर्शी, कर्मठ, ऐतिहासिक फैसले लेने वाला एक संत प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर है। बिजली अभियन्ताओं को उम्मीद है कि अभियंत्रण सेवाओं व अभियन्ताओं की दिशा व दशा सुधारने हेतु प्रदेश सरकार प्रदेश हित में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए उप्र राज्य विद्युत परिषद की पुनर्स्थापना करेगी। प्रदेश की जनता को निर्बाध रूप में बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने में जुटे हुए अभियन्ताओं के साथ क्षेत्रो में लगातार हो रही घटनाओं के दृष्टिगत अभियन्ताओं की सुरक्षा हेतु प्रदेश सरकार से इंजीनियर्स प्रोटेक्शन एक्ट शीघ्र लागू किये जाने की अपील की। 
लखनऊ में आयोजित समारोह में उपस्थित अभियन्ताओं में भारत रत्न एम विश्वेश्वरैया के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर इं. शैलेन्द्र दुबे, इं. पल्लब मुखर्जी, इं. प्रभात सिंह, इं. एके सिंह, इं. राजीव सिंह, इं. रणवीर सिंह, इं. आलोक कुमार श्रीवास्तव, इं. गुरजीत सिंह, इं. राहुल सिंह, इं. अजय द्विवेदी, इं. पवन वर्मा, इं. सुबोध झा, इं. सुजीत सिंह, इं. वीरेश पटेल, इं. आरपी सिंह, इं. आशुतोष गुप्ता, इं. सत्य प्रकाश, इं. मधुराज, इं. पुष्पेश गिरी, इं. विवेक यादव, इं. करूणेन्द्र कुमार वर्मा, इं. शिवम त्रिपाठी, इं. अभिषेक कुमार सहित अन्य अभियन्ता उपस्थित रहे।

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