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संतों से ही प्राप्त हो सकता है वेद का ज्ञान - स्वामी राघवाचार्य

संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा का सुमिरन करने उमड़े भक्त

लखनऊ। निरालानगर स्थित माधव सभागार में मानसरोवर परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिन की शुरुआत हनुमान चालीसा के पाठ उपरांत व्यास पीठ पर विजमान जगतगुरु स्वामी राघवाचार्य महाराज की आरती से हुई। मुख्य यजमान महेश गुप्ता, लक्ष्मी गुप्ता, उमेश पाण्डेय, भारत भूषण गुप्ता, राजू, राजेश, तनु, आशुष, सपना, तृप्ति गुप्ता, विनीता गुप्ता, प्रशांत तिवारी अनुराग साहू ने आरती की।

द्वितीय दिन कथा में जगतगुरु स्वामी राघवाचार्य महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा राजा परीक्षित के द्वारा मरणमय पुरुष का धर्म, सृष्टि क्रम, ध्रुव चरित्र, सती चरित्र एवं पुरुष वचन उपाख्यान की कथा सुनाई। वेद पर प्रकाश डालते हुये स्वामी राघवाचार्य ने कहा कि वेदो का ज्ञान जानने के लिए महापुरुषों के पास जाना चाहिए। वेद का ज्ञान संतों से ही प्राप्त हो सकता है। उन्होंने कहा कि बिना गुरु के किसी को भगवान का लाभ नहीं मिल सकता। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं करना है कि हम किसी को भी गुरु स्वीकार कर लें। शास्त्रों ने कुछ बातें बताई हैं, जिसके आधार पर वास्तविक संत, महापुरुष या गुरु का निर्णय होता है। गुरु ऐसा होना चाहिए जिसे समस्त शास्त्रों, वेदों आदि का ज्ञान हो, जिससे कि वह हमारी जिज्ञासा और शंकाओं का उत्तर देकर हमको संतुष्ट कर सके।

जगतगुरु स्वामी राघवाचार्य जी महाराज ने कहा कि मनुष्य को जीवन मे हमेशा सत्य का साथ चाहिए। सत्य के मार्ग पर चलकर ही उसे सफलता मिलती है। प्रवक्ता अनुराग साहू ने बताया कि तृतीय दिन श्रीमद् भागवत में जगतगुरु श्री राघवाचार्य महाराज जड़ भारत आख्यान, स्वर्ग नरक वर्णन, अजामिल उपाख्यान एवम प्रहलाद चरित्र की कथा वर्णन करेगे।

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