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दूसरों को शांत करने से पहले खुद शांत होना होगा - स्वामी राघवाचार्य

लखनऊ। निरालानगर स्थित माधव सभागार में मानसरोवर परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिन की शुरुआत हनुमान चालीसा के पाठ उपरांत व्यास पीठ पर विराजमान जगतगुरु स्वामी राघवाचार्य महाराज की आरती मुख्य यजमान महेश गुप्ता, लक्ष्मी गुप्ता की। श्रीमद् भागवत में जगतगुरु राघवाचार्य महाराज ने जड़ भारत आख्यान, स्वर्ग नरक वर्णन, अजामिल उपाख्यान एवम प्रहलाद चरित्र की वर्णन किया। कथा व्यास ने कहाकि जीवन की धन्यता भौतिक पदार्थों के संग्रहण में नहीं अपितु सुविचारों एवं सद्गुणों के संचयन में निहित है। जिसके पास जितने श्रेष्ठ एवं पारमार्थिक विचार हैं वह उतना ही सम्पन्न प्राणी है। आज समाज में अशांति कोई पशु या जानवर नहीं फैला रहा, बल्कि अपने स्वरूप से अनभिज्ञ भौतिक पदार्थ की दौड़ में लगा मनुष्य ही फैला रहा है। दूसरों को शांत करने से पहले खुद शांत होना होगा। शांति व आनंद का स्रोत केवल ईश्वर है जो भक्ति द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि मनुष्य के अन्तःकरण में जो गुणों के बीज हैं, वे सत्संग और कुसंग के कारण अंकुरित होते हैं। अगर कुसंग के जल की वर्षा हो जाय तो अन्तःकरण में छिपे हुए दुर्गुण सामने आ जाते हैं। व्यक्ति को कुसंग से बचना चाहिए, इसका तात्पर्य यह है कि अगर वर्षा ही नहीं होगी तो अंकुर भीतर से कैसे फूटेगा ? अतएव यदि हम उन सहयोगियों के, जो हमारे दुर्गुणों को, हमारी दुर्बलताओं को बढ़ा दिया करते हैं, सन्निकट नहीं जावेंगे तो भले ही हमारे जीवन में दुर्गुणों के संस्कार विद्यमान हों, वे उभर नहीं पावेंगे। मानवीय जीवन के सद्गुणों के अंकुरित होने के लिए जिस जल की अपेक्षा है, वह सत्संग का जल है।प्रवक्ता अनुराग साहू ने बताया कि चतुर्थ दिन गजेंद्र मोक्ष समुद्र मंथन रामावतार एवं श्री कृष्ण जन्म उत्सव कथा का वर्णन होगा।

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