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उच्च शिक्षा के गुणात्मक आयाम को देना चाहिए अधिक महत्व

लखनऊ। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय अलीगंज में उप्र राजकीय महाविद्यालय अकादमिक सोसाइटी की 25वीं वार्षिक बैठक में भारत की उच्च शिक्षा के विभिन्न पहलुओं और चुनौतियों पर परिचर्चा करने के लिए द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन शुक्रवार को हुआ। जिसमें प्रदेश के उच्च शिक्षा से जुड़ें हुए अधिकारियों, पदाधिकारियों, प्राचार्यों और राजकीय और सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के प्राध्यापकों के साथ-साथ देशभर के शिक्षा जगत के विद्वानों, नीति-निर्देशकों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों ने उच्च शिक्षा सम्बन्धी अपने शोध-पत्रों और उद्बोधनों के माध्यम से अपने-अपने विचार साझा किये। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि महापौर संयुक्ता भाटिया, मुख्य वक्ता प्रो. अरविन्द झा (स्कूल ऑफ एजुकेशन, इग्नू, नई दिल्ली), कार्यक्रम अध्यक्ष निदेशक प्रो. अमित भारद्वाज, विशिष्ट अतिथि उप्र उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक प्रो. केसी वर्मा और महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. अनुराधा तिवारी ने उप्र के संदर्भ मे उच्च शिक्षा के बदलते विभिन्न आयामों, उपलब्धियों और नीतियों के बारे में अपने विचार रखे।

महापौर संयुक्ता भाटिया ने महिलाओं की शिक्षा पर विचार रखते हुये कहाकि “कोई भी राष्ट्र बिना स्त्री शिक्षा को बढ़ाये उन्नति के शाश्वत पथ पर अग्रसर नही हो सकता। इसलिए हम सभी को मिलकर महिलाओं को उच्च शिक्षा को प्राप्त करने लिए प्रेरित करना चाहिए और उन्हे विशेष अवसर प्रदान करने चाहिए।” मुख्य वक्ता प्रो. अरविन्द झा ने भारत की उच्च शिक्षा के व्यापक संदर्भों पर विचार रखते हुये राष्ट्र निर्माण में उच्च शिक्षा को सर्वाधिक महत्ता दिये जाने पर ज़ोर दिया। उन्होंने बताया कि “भारत की उच्च शिक्षा संस्कृति प्रधान रही है, वह मनुष्य को मानव मनाने की प्रक्रिया है, मनुष्य का भगवान बनना आसान है परंतु मनुष्य का मनुष्य बनना बेहद कठिन है। उच्च शिक्षा ने यह कार्य किया है और वह अपने कलेवर में सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक आयामों पर विचार करने के साथ-साथ नैतिकता परक और मूल्य संवर्धक रही है। कोरोना काल में भारत के इसी स्वरूप ने हमे इस विपदा से बचाया था। इसलिए हमे उच्च शिक्षा के गुणात्मक आयाम को अधिक महत्व देना चाहिए।”

कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. अमित भारद्वाज ने आनलाइन अपना वक्तव्य दिया। प्रो. केसी वर्मा ने उप्र उच्च शिक्षा विभाग की उपलब्धियां विस्तार से बतायीं। विभाग के बढ़ते कदमों को रेखाकित करते हुये उन्होंने बताया कि “उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग सदैव गुणात्मक अभिवृद्धि का समर्थक रहा है और विभिन्न योजनायों के द्वारा प्राध्यापकों, विद्यार्थियों और कर्मचारियों के कल्याण के लिए कार्य करता है। उत्तर प्रदेश की उच्च शिक्षा लोक कल्याणकारी है।” उद्घाटन सत्र के उपरांत उच्च शिक्षा पर आधारित सिम्पोजियम में प्रो. डीसी शर्मा, प्रो. नीतू सिंह और डॉ. उपदेश वर्मा ने  उच्च शिक्षा के व्यवहारिक और मूल्य आधारित तथ्यों से सभी को परिचित कराया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में संगोष्ठी की संयोजिका प्रो. शिवानी श्रीवास्तव ने संगोष्ठी की विषयवस्तु को प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का सफल संचालन डा. शालिनी श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर राजकीय महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. अर्चना राजन, प्रो. सुमन गुप्ता, प्रो. गीता मेहरा, प्रो. शहला किदवई, प्रो. अजय सैनी आदि ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। महाविद्यालय के सभी प्राध्यापकों और कर्मचारियों ने पूर्ण सहयोग कर कार्यक्रम को सफल बनाया। लगभग 500 प्रतिभागी सभाकक्ष में उपस्थित रहे। औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन डा. पूनम वर्मा ने किया।

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