लखनऊ। हमारी धरती मां बहुत संकट में है और हमें अपने ग्रह को बचाने के लिए सकारात्मक कार्रवाई करने की जरूरत है। आंचलिक विज्ञान नगरी में विश्व पर्यावरण दिवस मनाकर सकारात्मक पर्यावरण कार्रवाई शुरू की गई है। इस अवसर पर पर्यावरण संबंधी शैक्षिक कार्यक्रमों की एक श्रृंखला में 'जलवायु परिवर्तन' पर फिल्म शो, 'पर्यावरण' विषय पर प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम, मेकिंग ऑफ बर्ड हाउस पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।
स्वरूप मंडल (क्यूरेटर, आंचलिक विज्ञान नगरी) ने बताया कि मानव में स्वस्थ और हरित पर्यावरण के महत्व के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिए 1973 से प्रत्येक 5 जून को वार्षिक कार्यक्रम के रूप में विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत की गई है। कुछ सकारात्मक पर्यावरणीय कार्यों को लागू करके पर्यावरण के मुद्दों को हल करने के साथ-साथ दुनिया भर में आम जनता को जागरूक करने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि न केवल कोई व्यक्ति, इसके लिए काम करने वाली सरकार या संगठन बल्कि हर कोई अपने पर्यावरण को बचाने के लिए जिम्मेदार है। इसके अलावा इस अवसर पर छात्रों और आगंतुकों के लिए 'वर्ल्ड ऑफ प्लास्टिक' शीर्षक पर एक विशेष प्रदर्शनी भी प्रदर्शित की गई।
कार्यक्रम के समापन पर डॉ. पीके श्रीवास्तव (पूर्व वैज्ञानिक, सीएसआईआर-सीडीआरआई) ने 'मिशन लाइफ: लाइफ स्टाइल फॉर एनवायरनमेंट' विषय पर एक लोकप्रिय विज्ञान व्याख्यान दिया। जिसमें उन्होंने बताया कि हमारे ग्रह को बचाने के लिए कम से कम हर बच्चे को एक पौधा लगाने की आवश्यकता है। डॉ. श्रीवास्तव ने स्थानीय पौधों की प्रजातियों जैसे तुलसी, पीपल, नीम आदि के महत्व को भी समझाया, जो कि अधिकांश विकसित देशों में अत्यधिक प्रशंसित हैं। अपने संक्षिप्त लेक्चर में उन्होंने कहा कि "हम बहुत भाग्यशाली हैं कि हम भारत में रह रहे हैं जहां पीपल जैसा ऑक्सीजन युक्त पौधा भारी संख्या में पाया जाता है। नीम से बना दातुन मुंह के कैंसर से बचाव के लिए हमारे दांतों के लिए बहुत उपयोगी है। अंत में डॉ. श्रीवास्तव ने सभी कार्यक्रमों के विजेताओं को पुरस्कार वितरित किए। कार्यक्रम में 500 से अधिक छात्रों ने भाग लिया।
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