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सरकार के इस फैसले का प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ ने किया विरोध

लखनऊ। प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के अध्यक्ष डॉ. सचिन वैश्य एवं महामंत्री डॉ. अमित सिंह ने कहाकि संवर्ग में चिकित्सकों के पद पर MBA एवं अन्य गैर तकनीकी अधिकारियों की तैनाती ना केवल वर्तमान में चिकित्सकों को हतोहत्साहित करेगी वरन उनकी कार्य क्षमता को भी प्रभावित करेगी। राज्य केंद्रीय कार्यकारिणी के पदाधिकारियों से विस्तृत विमर्श के पश्चात संयुक्त रूप से प्रेसनोट जारी कर उन्होंने कहाकि पूर्व में चेचक, पोलियो जैसी बड़ी बीमारियों का उन्मूलन के अतिरिक्त वर्तमान में दिमागी बुखार, अन्य संचारी रोगों पर नियंत्रण, कोरोना महामारी के संक्रमण काल में प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग के चिकित्सकों द्वारा युद्धस्तर पर जो भी अनवरत कार्य किए गए हैं। उससे खुद ही परिलक्षित है कि ये सभी कार्य एक बेहतर प्रबंधन एवं संचालन से संभव हो सके। 

उन्होंने कहा कि सभी चिकित्सक इस महामारी से राज्य की जनता को मुक्त कराने के लिए परिश्रम कर रहे है जिसकी चर्चा विश्वस्तर पर हो रही है। ऐसे में किसी भी परिवर्तन का होना उचित प्रतीत नहीं होता। बल्कि ऐसी दशाओं में तो चिकित्सकों को और ज्यादा अधिकार प्रदान कर देने चाहिए। उन्होंने कहा कि संवर्ग में पूर्व से ही मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में NHM के अंतर्गत बड़ी संख्या में मैनेजर्स एवं कंसल्टेंट्स तैनात हैं। जिसमें डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम मैनेजर, डिस्ट्रिक्ट कम्युनिटी प्रोसेस मैनेजर, डिस्ट्रिक्ट एकाउंट मैनेजर्स, डिस्ट्रिक्ट डेटा मैनेजर, डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर मैनेजर, डिस्ट्रिक्ट क्वालिटी कंसलटेंट, डिस्ट्रिक्ट मैटरनल हेल्थ कंसलटेंट, मॉनिटरिंग एवं इवैल्यूएशन ऑफिसर, फैमिली प्लानिंग कंसलटेंट, वैक्सीन कोल्ड चैन मैनेजर, डिस्ट्रिक्ट कंसलटेंट मैटरनल हेल्थ इत्यादि शामिल है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय क्षय रोग कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मैनेजर व कंसल्टेंट्स प्रत्येक जनपद में तैनात हैं। संवर्ग के चिकित्सकों के लिए सेवा शर्तें एवं उनकी नियमावली पहले से ही प्रतिस्थापित है। संवर्ग के चिकित्सक अपनी सेवा काल में अपने कार्य दशाओं से प्राप्त अनुभव एवं निश्चित कार्यकाल के ही पश्चात उच्च पद को प्राप्त करते है। ऐसे में उनके समक्ष इस क्षेत्र में एक MBA एवं अन्य गैर-तकनीकी अधिकारी, जो चिकित्सकीय जिम्मेदारियों के प्रति अनुभवहीन है, को पदभार देना उचित नहीं है।

उन्होंने कहा कि प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग एक तकनीकी संघ है। शासन स्तर पर तकनीकी विमर्श हेतु दो विशेष सचिव के पद सृजित हैं। परंतु आश्चर्य की बात है कि उन पदों को ना भरते हुए एक समानांतर व्यवस्था की जा रही है। प्रधानमंत्री ने अपने वक्तव्य में इस बात पर जोर दिया था कि तकनीकी स्थानों पर गैर तकनीकी व्यक्तियों का प्रयोग ना किया जाए। यदि प्रशासनिक पदों की परिभाषा इतनी सरल होती तो अन्य विभागों के उच्चाधिकारियों की जगह गैर तकनीकी कार्मिकों को ओर बिज़नेस मैनेजर्स को तैनात कर दिया जाता। चिकित्सकीय संवर्ग पूरे विश्व में आवश्यक एवं आकस्मिक सेवाओं में आता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में चिकित्सक, विशेष रूप से सरकारी चिकित्सक अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहे हैं। मरीजों की सेवा में अपनी जान दे रहे हैं। दिवंगत शहीद साथियों को मरणोपरांत भी सरकार द्वारा घोषित उनका अधिकार नहीं दिया गया है। उनके परिवार आज भी आर्थिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं। आश्चर्य की बात है कि आखिर यह प्रबंधन किस स्तर पर नाकाम हुआ है? जिलों में लगातार प्रशासनिक पदों पर बैठे हुए अधिकारियों द्वारा चिकित्सकों का शोषण और अपमान किया जा रहा है। अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के बाद भी चिकित्सकों ने इस स्थिति की कभी कल्पना भी नहीं की होगी। अगर कल्पना की होती तो सरकारी सेवा में नहीं आए होते।

प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ, उत्तर प्रदेश ने अपने साथियों के लंबे अनुभव और व्यवहारिक ज्ञान की सहायता से एक दृष्टि पत्र पहले ही सरकार को दिया था। जिसमें संवर्ग की समस्याओं के साथ साथ नए चिकित्सकों को संवर्ग के प्रति आकर्षित करने हेतु उपाय मौजूद थे। परंतु उसका संज्ञान शायद ही किसी भी स्तर पर लिया गया होगा, ऐसा प्रतीत नही होता।आज भी संघ की दीर्घकालिक मांगों के पत्रों पर कोई भी संज्ञान नही लिया जा रहा। तथाकथित प्रशासनिक पद और उन पर कार्यरत अनुभवी और वरिष्ठ चिकित्सकों जिनकी संख्या उंगली पर गिनी जा सकती है, जिनको चिकित्सीय कार्य में लगा कर चिकित्सकों की कमी नहीं पूरी की जा सकती। क्योंकि विभिन्न स्तरों पर स्थित चिकित्सा इकाइयों में 24×7 विशेषज्ञ सेवाएं देने के लिए लगभग 33 हज़ार विशेषज्ञ चिकित्सकों और 14 हज़ार प्लेन एमबीबीएस चिकित्सकों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ जन समुदाय के लिए चिकित्सकीय कार्यों के अतिरिक्त अपने चिकित्सकों के हितों के लिए भी सदैव प्रयासरत रहा है। संघ ऐसे किसी भी निर्णय का समस्त विकल्प खोलते हुए विरोध प्रकट करता है।

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