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बिजलीकर्मियों व इंजीनियरों ने आंदोलन का किया ऐलान, आखिर क्यों

लखनऊ। बिजली कर्मचारियों व अभियंताओं की राष्ट्रीय समन्वय समिति नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ़इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस एन्ड इंजीनियर्स (एनसीसीओईई) के आह्वान पर प्रदेश के बिजली कर्मचारी और इंजीनियरों ने 19 जुलाई को शाम 4 बजे से 6 बजे तक विरोध सभाएं करने की घोषणा की है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले बिजली कर्मियों ने एलान किया कि जब तक इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 वापस नहीं लिया जाएगा आंदोलन जारी रहेगा। लखनऊ में विरोध सभा शक्तिभवन में होगी। संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारियों प्रभात सिंह, जीवी पटेल, जयप्रकाश, गिरीश पांडे, सदरूद्दीन राना, राजेंद्र प्रसाद घिल्डियाल, सुहेल आबिद, विनय शुक्ला, बृजेश त्रिपाठी, महेंद्र राय, डीके मिश्रा, शशिकांत श्रीवास्तव, प्रेम नाथ राय, पूसे लाल, एके श्रीवास्तव, वीके सिंह कलहंस, उत्पल शंकर, आरके सिंह, सुनील प्रकाश पाल, शंभू रतन दीक्षित, विशंभर सिंह, जीपी सिंह, पीएस बाजपेई ने बताया कि केंद्र सरकार ने संसद के मानसून सत्र में इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 संसद में रखने और पारित करने का एलान किया है। 

संसद के मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को देशव्यापी प्रदर्शनों के क्रम में राजधानी लखनऊ में शक्तिभवन सहित यूपी के समस्त परियोजना मुख्यालय एवं जनपदों में शाम 4 बजे से विरोध सभाएं होंगी। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि बिजली क़ानून में व्यापक बदलाव वाले इस बिल को जल्दबाजी में पारित करने के बजाये इसे संसद की बिजली मामलों की स्टैंडिंग कमेटी को भेजा जाना चाहिए। कमेटी के सामने बिजली उपभोक्ताओं और बिजली कर्मियों को अपने विचार रखने का पूरा अवसर दिया जाना चाहिए। 

उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 में उत्पादन का लाइसेन्स समाप्त कर बड़े पैमाने पर बिजली उत्पादन का निजीकरण किया गया जिसके परिणाम स्वरुप देश की जनता को निजी घरानों से बहुत महंगी बिजली कीमार झेलनी पड़  रही है। अब इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 के जरिये बिजली वितरण का लाइसेंस लेने कीशर्त समाप्त की जा रही है जिससे बिजली वितरण के सम्पूर्ण निजीकरण का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। इस बिल में  प्राविधान है कि किसी भी क्षेत्र में एक से अधिक बिजली कम्पनियाँ बिना लाइसेंस लिए कार्य कर सकेंगी और बिजली वितरण हेतु यह निजी कम्पनियाँ सरकारी वितरण कंम्पनी का इंफ्रास्ट्रक्चर और नेटवर्क इस्तेमाल करेंगी। उन्होंने बताया कि निजी कम्पनियाँ केवल मुनाफे वाले औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को ही बिजली देंगी जिससे सरकारी बिजली कंपनी की वित्तीय हालत और खराब हो जाएगी। नए बिल के जरिये सरकार बिजली वितरण का सम्पूर्ण निजीकरण करने जा रही है जो किसानों और गरीब घरेलू उपभोक्ताओं के हित में नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि केंद्र सरकार ने 10 अगस्त के पहले संसद में बिल रखा तो देश भर के बिजली कर्मी उसी दिन हड़ताल करेंगे।

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