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राम वनगमन का दृश्य देख भावुक हुए दर्शक

लखनऊ। रहो सब मिल कर नर-नारी अब हम वन को जाते हैं। अयोध्या नगरी के तुम वासी रहे सब स्वस्थ, मिले सबको खुशी, यही का मैं अभिलाषी। प्रभु श्रीराम के इन बातों को सुन कर सभी नागरिक फूट-फूट कर रोते हुए राम से वन न जाने का अनुनय विनय करते रहे। श्री रामलीला समिति महानगर द्वारा आयोजित चार दिवसीय रामलीला के दूसरे दिन कलाकारों ने राम-सीता व लक्ष्मण के वनगमन का बखूबी मंचन किया। रामलीला महोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद कानून मंत्री ब्रजेश पाठक मौजूद रहे। विगत 58 वर्षों से श्रद्धेय पूरण चन्द्र पाण्डे के कुशल नेतृत्व और प्रसिद्ध रंग-मंच कलाकार पियूष पाण्डेय के निर्देशन में रामलीला का उत्कृष्ट मंचन किया जा रहा है।

रामलीला महोत्सव का संचालन व प्रस्तुति में समिति के अध्यक्ष ललित मोहन जोशी व महामंत्री हेम पन्त, दीपक पाण्डेय दीनू, मृत्युंजय पाण्डेय, गणेश चन्द्र जोशी, हरीश उपाध्याय, देवेन्द्र मिश्रा, तारा चन्द जायसवाल व सहनिर्देशक महेन्द्र पंत का विशेष सहयोग मिल रहा है। रामलीला मैदान सेक्टर-सी, महानगर में 12 अक्टूबर से प्रारंभ चार दिवसीय रामलीला महोत्सव के दूसरे दिन कैकई–दशरथ संवाद, राम-सीता संवाद, राम-लक्ष्मण संवाद, राम वन गमन, राम केवट संवाद, सुमंत विलाप, दशरथ मरण, चित्रकूट में भरत-राम संवाद, सीता हरण, राम लक्ष्मण संवाद का मंचन हुआ। रामलीला समिति ने रामलीला मंचन के लिए अधिकांश कलाकारों के रूप में बेटियों का चयन किया है।

रामलीला महोत्सव के मुख्य कलाकारों में राम-अनुशीका जोशी, लक्ष्मण- सृष्टि देवडी, सीता-यशी, लोहुमी, दशरथ- कुणाल पंत, विश्वामित्र - आशीष सक्सेना, ताड़का- पिंकी नौटियाल, मारिस- मोहित लाल, सुबाहु - हिमांशु मिश्र, परशुराम नवीन चंद पाण्डे रहे। केवट महेन्द्र पंत व केवट पत्नी दीपाली सिंह रही। पार्श्व गायन में इन्दूभट्ट, रचना उप्रेती, चित्रा पाण्डेय, भावना लोहनी व भारती पाण्डेय की भागीदारी रही और तबले पर दिवाकर राव, नीरज पंत व हार्मोनियम पर ललित भट्ट का संगत रहा। शहर में स्थित सभी पर्वतीय संस्थाओं के पदाधिकारियों व सदस्यों ने लीला का आनन्द लेने के पश्चात सुन्दर अभिनय व प्रस्तुति के लिए कलाकारों व आयोजकों की प्रशंसा की। मीडिया प्रभारी हरीश रावत ने बताया कि तृतीय दिवस पर गुरुवार को राम-सुग्रीव मित्रता, अशोक वाटिका प्रसंग, हनुमान-रावण संवाद, लंका दहन, अंगद रावण संवाद का मंचन होगा।

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