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पुरानी पेंशन या फिर एनपीएस : शिक्षक, कर्मचारियों को क्या चाहिये?

लखनऊ। प्रदेश के शिक्षक व कर्मचारियों को भ्रमित करने के उद्देश्य से एनपीएस को बेहतर बताया जा रहा है, लेकिन शिक्षकों और कर्मचारियों को सिर्फ पुरानी पेंशन चाहिए। यह कहना है अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधू का।



उन्होंने कहा कि इस समय चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। इस पर सत्तारूढ़ दल के प्रमुख नेताओं को भी सफाई देनी पड़ गयी। जिस विषय पर पिछले पांच वर्षों के दौरान एक बार भी बात नहीं कि अचानक वह मुद्दा उनके लिए प्रमुख हो गया। दुर्भाग्य की बात है पिछले पांच वर्ष के शासन काल मे उन्हें एक बार भी पुरानी पेंशन की याद नही आयी। इतना ही नहीं उन्होंने ज्ञापन तक लेना मुनासिब नहीं समझा। जबकि शासन  के द्वारा जो उदाहरण प्रस्तुत किया गया है वह कई मायनों में तर्क संगत नहीं है। इसमें तमाम तथ्यों का न तो जिक्र है, न ही उन्हें स्पष्टï किया गया है। विशेष बात यह है कि एनपीएस कोई पेंशन व्यवस्था नहीं है बल्कि यह एन्युटी है। जिसे स्वनिवेशित धन योजना कहा जा सकता है। पूरे सेवाकाल के दौरान जो धन इकट्ठा होगा। उसी का 40 प्रतिशत को पुनर्निवेश करके उसी हिसाब से पेंशन निर्धारित होगी। जिसे सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों के माध्यम से दिया जाएगा और सरकार का कोई हस्तक्षेप नही रहता है। यह रकम इतनी कम होती है कि इसका वार्षिक मूल्य सूचकांक से कोई लेना-देना नहीं होता है। सबसे बड़ी बात की एक बार पेंशन तय हो जाने के बाद ताउम्र उतनी ही पेंशन मिलेगी मूल्य सूचकांक कुछ भी हो। क्योंकि इसमें पेंशन की भांति महंगाई राहत या अन्य कोई लाभ नहीं जुड़ते। जैसे कि पुरानी पेंशन में पेंशनर की आयु 80 वर्ष होने पर 20 प्रतिशत बढ़ती है और 100 वर्ष होने पर यह दोगुनी हो जाती है, लेकिन एनपीएस में तो फि क्स है। साथ ही पुरानी पेंशन की भांति इसमें कोई न्यूनतम राशि निर्धारित नहीं है।


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