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बाल निकुंज : मच्छरजनित बीमारियों के प्रति बच्चों को किया जागरूक

बदलते मौसम में मच्छर को पनपने से रोकें - डा. केपी त्रिपाठी 

लखनऊ। जलभराव, नमी और गन्दगी में मच्छर पनपते हैं। बदलते मौसम मच्छरजनित परिस्थितियां उत्पन्न करने में अहम् भूमिका निभातें है। इसलिए इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि घरों व आसपास मच्छरजनित परिस्थतियाँ उत्पन्न न होने पायें। बाल निकुंज इंग्लिश स्कूल पल्टन छावनी शाखा में सोमवार को आयोजित डेंगू एवं मलेरिया संवेदीकरण कार्यशाला में उक्त बातें एसीएमओ व राष्ट्रीय वेक्टर जनित नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. केपी. त्रिपाठी के कहीं।
फेमिली हेल्थ इण्डिया ‘एम्बेड‘ के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में उन्होनें कहाकि बदलते मौसम में अनावश्यक जलजमाव के कारण मच्छर अधिक पनपते हैं, इसलिए घर व आसपास साफ़-सफाई रखें, पानी न इकठ्ठा होने दें, पूरी बांह के कपड़े पहनें, मच्छररोधी क्रीम लगायें, घर के ताजा व अच्छे से पका हुआ खाना खाएं, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले फल व सब्जियों का सेवन करें, बाहर के खाने से परहेज करें, यह सारी बातें बच्चें अपने अपने माता-पिता को को बताएं। डॉ. केपी त्रिपाठी ने बताया कि किसी भी प्रकार के बुखार की दशा में जल्दी से जल्दी नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्यकेन्द्र पर बुखार की जांच करायें स्वयं कोई इलाज न करें। 
वरिष्ठ मलेरिया निरीक्षक प्रशांत वर्मा ने बताया कि मच्छरजनित बीमारियों से बचाव के लिए नगर मलेरिया इकाई द्वारा नियमित अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान एंटी लार्वा का छिड़काव करने के साथ ही घर-घर दस्तक देकर लोगों को डेंगू मलेरिया सहित अन्य मच्छरजनित बीमारियों से बचाव की जानकारी दी जा रही है।
क्षेत्रीय पार्षद रूपाली गुप्ता ने बताया कि यदि सभी लोग प्रति सात दिवस में जमा हुए पानी को साफ करें एवं डेंगू मलेरिया का लार्वा नहीं पनपनें दें तो इन बीमारियो से स्वयं को संक्रमित होने से बचाव किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के समन्वय से एम्बेड परियोजना आमजन के व्यवहार को परिवर्तन करने जैसे सोते समय मच्छरदानी का  प्रयोग करने, घरों के आस-पास पानी न जमा होने देने, पूरी बांह के कपड़े पहनने और बुखार आने पर नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र जाने के लिए सजग कर रही है।
विद्यालय के एमडी एच. एन. जायसवाल ने स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि विद्यालय परिसर और अपने घर के आसपास सफाई रखना हम सभी की जिम्मेदारी है।
एम्बेड के जिला समन्वयक धर्मेंद्र त्रिपाठी ने कहाकि मच्छरों का जीवनकाल 20 से 25 दिनों का होता है, जिसमें वह 9-10 दिनों तक रूके हुए पानी के अन्दर रहता है, उसके बाद मच्छर प्रौढ होकर हवा में उड़ जाते है। हम इन रूके हुए पानी को नष्ट कर इनके पैदा होने वाले स्रोतों को नष्ट कर सकते है। उन्होंने प्रत्येक रविवार मच्छरों पर वार एवं लारवा पर प्रहार एवं बुखार में देरी पडेंगी भारी स्लोगन के माध्यम से अपनी बात कही। 
कार्यशाला में सभी स्टूडेंट्स, टीचर्स व कर्मचारियों को सैनेटाइजर भी वितरित किया गया। इस अवसर पर विद्यालय की प्रधानाचार्या रश्मि शुक्ला, वरिष्ठ मलेरिया निरीक्षक प्रशांत वर्मा, एम्बेड के समन्वयक धर्मेंन्द्र त्रिपाठी, प्रोजेक्ट एसोसिएट हर्ष यादव, बी.सी.सी.एफ. शशि मिश्रा, पूजा कुमारी, आंचल यादव, अभिषेंक सिंह, अनूप पाण्डे, पुलकित त्रिपाठी, अनुराधा चौहान, कविता सिंह, जया पाण्डे, आरती, कोमल सिंह, पुष्पा सिंह सहित टीचर्स व स्टूडेंट्स मौजूद रहे।

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