Pages

आंदोलन की राह पर बिजली अभियंता, दी ये चेतावनी

लखनऊ। उप्र राज्य विद्युत परिषद अभियन्ता संघ एवं राविप जूनियर इंजीनियर्स संगठन उप्र ने ऊर्जा निगमों में उच्चतम स्तर पर फैले भ्रष्टाचार एवं निचले स्तर पर उत्पन्न किये जा रहे भय के वातावरण के विरोध में एक बार फिर आंदोलन का ऐलान किया है। संगठन का कहना है कि यदि ईआरपी, बिजली खरीद में किये गये भ्रष्टाचार पर कार्यवाही, विगत वर्ष जन्माष्टमी पर लाखों उपभोक्ताओं की विद्युत आपूर्ति ठप्प करने की दोषी निजी कम्पनी के विरूद्ध कार्यवाही, विगत में मनमाने तरीके से किये गये नियम विरूद्ध उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियां निरस्त न की गयी तो 15 मार्च से प्रदेश के समस्त बिजली अभियन्ता एवं जूनियर इंजीनियर संगठन प्रबन्धन के साथ पूर्ण असहयोग/सविनय अवज्ञा प्रारम्भ कर देगें और शीर्ष ऊर्जा प्रबंधन के किसी भी आदेश का पालन नहीं करेंगे। इसी क्रम में 14 मार्च को प्रदेश के समस्त डिस्काम मुख्यालयों एवं परियोजनाओं पर ज्ञापन सौपे जायेंगे।

अभियन्ता संघ के अध्यक्ष वीपी सिंह, महासचिव प्रभात सिंह एवं जूनियर इंजीनियर्स संगठन के अध्यक्ष जीबी पटेल, महासचिव जय प्रकाश ने संयुक्त रूप से जारी बयान में बताया कि उप्र के बिजली निगमों में ईआरपी प्रणाली लागू कराने हेतु लगभग 700 करोड़ रू का खर्च ऊर्जा निगम प्रबन्धन द्वारा किया गया है। जो अन्य प्रदेशों की तुलना में कई गुना अधिक है, जिससे इस सारे सौदे में स्पष्टतया भ्रष्टाचार की बू आ रही है। उदाहरण के तौर पर महाराष्ट्र में लगभग 90 करोड़ रूपये, आंध्रप्रदेश में लगभग 25 करोड़, तमिलनाडु में लगभग 40 करोड़ ईआरपी में खर्च किये गये। जहां एक ओर ईआरपी के भ्रष्टाचार में इतनी बड़ी धनराशि व्यय की गयी है वहीं दूसरी ओर विगत वर्ष सितम्बर एवं अक्टूबर माह में विद्युत उत्पादन निगम को कोल इण्डिया लि. के भुगतान हेतु मात्र कुछ करोड़ रूपये का भुगतान न कर किये गये कृत्रिम बिजली संकट के दौरान एनर्जी एक्सचेंज से 20-21 रू0 प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदी गयी।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन लाखों उपभोक्ताओं की विद्युत आपूर्ति ठप होने के दोषी निजी कम्पनी पर आज तक कोई कार्यवाही न होना अपितु उल्टे भ्रष्ट निजी कम्पनी को संरक्षण देने की प्रबन्धन की कोशिश से न केवल बिजली कर्मियों अपितु बिजली उपभोक्ताओं में भारी रोष है। ईआरपी में हुए भ्रष्टाचार और कोयले का भुगतान हेतु उत्पादन निगम को धनराशि उपलब्ध न कराने की सारी जिम्मेदारी शीर्ष प्रबन्धन की है।
बिजली व्यवस्था में सुधार हेतु विगत 06 अक्टूबर 2020 को मंत्री मण्डलीय उप समिति और संघर्ष समिति के मध्य हुए लिखित समझौते में यह सहमति बनी थी कि बिजली व्यवस्था में सुधार हेतु संघर्ष समिति के सुझावों पर प्रबन्धन वार्ता करके यथोचित निर्णय लेगा। लेकिन उप्र ऊर्जा निगमो के वर्तमान अध्यक्ष महोदय द्वारा ऊर्जा निगमों के अध्यक्ष पद का कार्यभार ग्रहण करने से लेकर अब तक इस सम्बन्ध में वार्ता की कोई पहल नहीं की गयी। सुधारों पर वार्ता करने के बजाय अपने पूरे कार्यकाल के दौरान एवं उनके द्वारा कार्मिकों की सेवा शर्तां में प्रतिगामी परिविर्तन कर बड़े पैमाने पर कर्मचारियों को दण्डित कर भय का वातावरण बनाने का कार्य किया जा रहा है। ऐसा भय का वातावरण जिसमें ईआरपी में हुए भ्रष्टाचार और 20-21 रू0 प्रति यूनिट मंहगी बिजली खरीद के मामले पृष्ठभूमि में दबे रह जायें।पदाधिकारियों ने बताया कि यदि 14 मार्च तक सार्थक परिणाम न निकले तो 15 मार्च से ऊर्जा निगम प्रबन्धन के साथ असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ कर दिया जायेगा।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ