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अपने विरोधियों के सामने नहीं टिक सके पार्षद

भाजपा, कांग्रेस सपा के पार्षदों को चुनाव में मिली हार 

लखनऊ। लखनऊ की तीन सीटों पर पार्षद पूर्व पार्षद सियासी मैदान में थे। शहर की सरकार के सदस्यों को भी उनकी जीत से काफी उम्मीदें थी। लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद हर किसी को निराशा हाथ लगी है। भाजपा, सपा कांग्रेस ने एक-एक सीट पर पार्षदों को चुनाव मैदान में उतारा था। इनमें से चार बार के पार्षद रहे मध्य से रजनीश गुप्ता कमल खिलाने में असफल साबित हुए। पांच साल तक मंत्री रहे ब्रजेश पाठक इसी सीट से विधायक रहे। इसके बाद चुनाव के समय उन्होंने मतदाताओं के मूड को भांप लिया था और कैंट से चुनाव लड़ने में समझदारी दिखायी। वहीं, रजनीश पहली बार विधायकी का चुनाव लडेÞ, और हार मिली। रजनीश गुप्ता यहियागंज वार्ड से चार से पार्षद हैं। उनकी पत्नी भी पार्षद रह चुकी हैं। उनका वार्ड भी मध्य क्षेत्र में आता है बड़े व्यापारी हैं और उनके बडेÞ भाई मौजूदा सरकार में राज्य मंत्री हैं। ब्रजेश पाठक की साफ सुथरी कार्यकर्ताओं के प्रति समर्पित छवि भी रजनीश को जीत नहीं दिला सकी।

लखनऊ कैंट विधानसभा सीट पर भाजपा की तरफ से सपा में भी कई दावेदार थे, लेकिन सपा ने सभी दावेदारों को किनारे करते हुए 2022 के विधानसभा चुनाव में लखनऊ कैंट से पूर्व पार्षद राजू गांधी को टिकट दिया। राजू गांधी सपा में कई पदों पर रहे हैं। पार्षद का पहले चुनाव राजू सिर्फ सात वोट से हार गए थे। इसके बाद लगातार 3 बार पार्षद बने। राजू गांधी सपा लोहिया वाहिनी के प्रदेश उपाध्यक्ष रह चुके हैं। उनकी पत्नी चरनजीत सिंह गांधी वर्तमान में पार्षद हैं। उनका सीधा मुकाबला भाजपा के कद्दावर नेता योगी सरकार के कानून मंत्री बृजेश पाठक से था। उधर, मोहनलालगंज सुरक्षित विधानसभा सीट से कांग्रेस ने पार्षद ममता चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा था। तीन बार से पार्षद ममता ने टिकट मिलने के बाद से यहां से प्रचार करना शुरू कर दिया था लेकिन गुरुवार को शुरूआत से लेकर अंतिम गणना तक चौथे स्थान पर रहीं। उन्हें कुल 2990 वोट ही मिले।


हॉट सीट फिर भाजपा के कब्जे में

लखनऊ की कैंट सीट विधानसभा चुनाव में काफी चर्चा में रही। इस सीट पर भाजपा की तरफ से मौजूदा विधायक समेत रीता बहुगुणा जोशी के बेटे मयंक जोशी भी टिकट मांग रहे थे। भाजपा में शामिल हुईं अपर्णा यादव का नाम भी इसी सीट से चल रहा था लेकिन भाजपा ने इन सभी धुरंधरों को किनारे करते हुए योगी सरकार में कानून मंत्री रहे बृजेश पाठक को चुनाव मैदान में उतारा। जबकि बृजेश पाठक को टक्कर देने के लिए सपा ने राजू गांधी पर भरोसा जताया। भाजपा जातिगत गणित के साथ-साथ ब्राह्मण वोटों का समीकरण साधने की कोशिश में जुटी थी। यहां पर सबसे अधिक ब्राह्मण मतदाता हैं जो प्रत्याशियों के हार-जीत में निर्णायक भूमिका निभाने के नाते भाजपा के लिए सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है। ब्रजेश पाठक के लिए मध्य छोड़कर कैंट से चुनाव लड़ना सफल साबित हुआ। उन्हें यहां से 108147 वोट हासिल कर बड़ी जीत दर्ज की। लखनऊ कैंट से विधायक रहीं डॉक्टर रीता बहुगुणा जोशी ने 2017 यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी से इस्?तीफा देकर भगवा झंडा थाम लि?या था। इस पर वो कैंट सीट से लगातार 2017 में भी वि?धायक चुनीं गईं थी। हालांकि 2019 लोकसभा चुनाव में सांसद चुने जाने पर इस सीट से इस्?तीफा दे दि?या। इस पर 2019 में यूपी विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के सुरेश चंद्र तिवारी ने जीत दर्ज की थी। उन्?होंने समाजवादी पार्टी के मेजर आशीष चतुवेर्दी को 35,428 वोटों के मार्जिन से हराया था। वहीं चुनाव में कांग्रेस पार्टी तीसरे स्थान पर थी।

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