Pages

सड़क पर चलने वाले जरूर पढ़ें यह खबर, घायलों का कर सकेंगे उपचार

लखनऊ। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में अधिकांश लोग यातायात नियमों का पालन नहीं करते हैं जिससे न सिर्फ सड़क हादसे हो रहे है बल्कि लोगों की जान भी जा रही हैं। हादसों को रोकने के लिए बेहतर सड़क के साथ ही यातायात नियमों का पालन करना जरूरी है। विशेषज्ञों का मानना है कि अधिकांश मौतें दुर्घटना के बाद पहले GOLDEN HOUR में प्राथमिक चिकित्सा देखभाल की कमी के कारण होती हैं। इनमें से कई दुर्घटना पीड़ितों की जान दुर्घटना के तुरंत बाद उचित प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करके बचाई जा सकती है जो कि किसी भी आम आदमी या पुलिस व्यक्ति द्वारा प्रदान की जा सकती है। इसके लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जाना जरूरी है। 


ऐसे में 
इंडियन ऑर्थोपैडिक एसोसिएशन ने सराहनीय पहल की है। सड़क हादसे में घायल व्यक्ति की जान बचाने व उसे प्राथमिक उपचार देने के लिए एसोसिएशन नेशनल बोन एंड ज्‍वॉइंट डे के अवसर पर 1 से 7 अगस्‍त तक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रही है। जिसमें पुलिसकर्मियों, ड्राइवरों, स्टूडेंट्स के साथ ही आम जनमानस को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है। जिससे हादसे में घायल व्यक्ति को गोल्‍डन आवर यानी सुनहरे एक घंटे में प्राथमिक उपचार देने के साथ ही सुरक्षित तरीके से अस्‍पताल पहुंचाकर उसकी जान बचाई जा सके। उत्‍तर प्रदेश में भी यह कार्यक्रम यूपी ऑर्थोपैडिक एसोसिएशन के तत्‍वावधान में चलाया जा रहा है। इस दौरान लखनऊ में स्थित रिजर्व पुलिस लाइन सभागार में पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। जहां ‘ईच वन सेव वन’ की थीम पर चिकित्सकों की टीम पुलिसकर्मियों को बेसिक लाइफ सपोर्ट का प्रशिक्षण दे रही है। चिकित्सकों की टीम ने पुलिस कर्मियों को डेमो के माध्यम से बताया कि आपात स्थिति में घायल व्यक्ति को किस प्रकार प्रथम चिकित्सा उपचार देना है।

शुक्रवार को निराला नगर में स्थित एलएनएचए कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में यह जानकारी सीएसआरसी इंडियन ऑर्थोपैडिक एसोसिएशन के चेयरमैन डॉ. अनूप अग्रवाल, यूपी ऑर्थोपैडिक एसोसिएशन के सचिव डॉ. संतोष सिंह व एसोसिएशन के सेक्रेटरी सिटी डॉ. शाह वलीउल्‍लाह ने दी। डॉ. अनूप अग्रवाल ने बताया कि वर्ष 2019 में राज्‍यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 4,49,002 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गयी थीं, जिसमें 1,51,113 लोगों की जान चली गयी और 4,51,361 लोग घायल हो गये थे।
18 से 45 वर्ष के आयु वर्ग के युवा वयस्कों में लगभग 69.3 प्रतिशत सड़क दुर्घटना के शिकार हुए। वहीं कुल सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों में 18 से 60 वर्ष के कामकाजी आयु वर्ग की हिस्सेदारी 84.3 प्रतिशत थी। कुल दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या में पुरुषों की संख्या 86 फीसदी थी, जबकि 2019 में महिलाओं की हिस्सेदारी 14 फीसदी के आसपास रही।
उन्होंने बताया कि अधिकांश मौतें दुर्घटना के बाद पहले Golden Hour में प्राथमिक चिकित्सा देखभाल की कमी के कारण होती हैं। इनमें से कई दुर्घटना पीड़ितों की जान दुर्घटना के तुरंत बाद उचित प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करके बचाई जा सकती है जो कि किसी भी आम आदमी या पुलिस व्यक्ति द्वारा प्रदान की जा सकती है यदि इसके लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है।
डॉ. अनूप अग्रवाल ने बताया कि यूपी के 17 जिलों की पुलिस लाइन में यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। उन्‍होंने बताया कि इस प्रशिक्षण में यह जानकारी दी जा रही है कि दुर्घटना होने के बाद घायल को अस्‍पताल पहुंचाने के दौरान किन-किन बातों को ध्‍यान में रखना है जिससे चिकित्सक के पास पहुंचने तक घायल के जीवन को कोई खतरा न हो और उसकी जान बचाई जा सके।

1.40 लाख लोगों को जीवन रक्षक बनाने का लक्ष्य
डॉ. संतोष सिंह ने बताया कि एसोसिएशन द्वारा पूरे देश में ट्रैफिक पुलिस, ड्राइवर, स्टूडेंट्स, पैरामेडिकल स्टाफ सहित 1.40 लाख लोगों को प्राथमिक चिकित्‍सा का प्रशिक्षण देकर उन्‍हें जीवन रक्षक बनाने का लक्ष्‍य रखा गया है, जिसमें यूपी में 15,000 लोगों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्‍य है। जिन लोगों को यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है वे सभी फर्स्‍ट रिस्‍पॉन्‍डर यानी दुर्घटना के बाद घायल के पास सबसे पहले होने वाले लोग हैं। उन्‍होंने बताया कि पहले दिन एक अगस्त को रिजर्व पुलिस लाइन लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में 99 पुलिसकर्मियों को यह प्रशिक्षण दिया गया। जबकि दूसरे दिन मंगलवार को पीएसी ग्राउंड में 178 जवानों को प्रशिक्षित किया गया। डॉ. शाह वलीउल्‍लाह (केजीएमयू के ऑर्थोपैडिक विभाग में एडिशनल प्रोफेसर) ने बताया कि इस तरह का प्रशिक्षण केजीएमयू सहित अन्य चिकित्सा संस्थानों में भी आयोजित किये जाते हैं। जहां पैरामेडिकल स्टाफ के साथ ही वहाँ आने वाले लोगों को प्रशिक्षित किया जाता है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ