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कुतुबमीनार से भी ऊंचे ट्विन टावर्स आज चंद सेकेंड में हो जाएंगे खाक

नोएडा। नोएडा का सुपरटेक ट्विन टावर्स आज इतिहास बन जाएगा। नोएडा सेक्टर 93A में अवैध रूप से निर्मित इस इमारत को दोपहर 2:30 बजे ढहा दिया जायेगा। पिछले कई दिनों से चर्चा का विषय बने इस टावर को जमींदोंज करने के लिए भारतीय ब्लास्टर चेतन दत्ता मुख्य भूमिका निभाएंगे। एक हरे रंग बटन को दबाते ही 14 सेकंड में 32 मंजिला और 29 मंजिला ट्विन टावर्स पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दोनों टावर्स को विस्फोटक से गिराने की पूरी तैयारी पिछले कई दिनों से चल रही है।



जानकारी के मुताबिक, चेतन दत्‍ता एडिफाइस (Edifice) कंपनी के भारतीय ब्‍लास्‍टर हैं। 200 करोड़ से ज्यादा की लागत में बने इन टावर्स को गिराने में करीब 20 करोड़ का खर्च आएगा। दिल्ली के कुतुब मीनार से भी ऊंची 100 मीटर की इन इमारतों को गिराने के लिए 37,00 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया जाएगा।


इसे गिराने की यह रही वजह 


नोएडा अथॉरिटी ने सेक्टर-93ए स्थित प्लॉट नंबर-4 को एमराल्ड कोर्ट के लिए आवंटित किया। आवंटन के साथ ग्राउंड फ्लोर समेत 9 मंजिल तक मकान बनाने की अनुमति मिली। दो साल बाद 29 दिसंबर 2006 को अनुमति में संसोधन कर दिया गया। नोएडा अथॉरिटी ने संसोधन करके सुपरटेक को नौ की जगह 11 मंजिल तक फ्लैट बनाने की अनुमति दे दी। इसके बाद अथॉरिटी ने टावर बनने की संख्या में भी इजाफा कर दिया। पहले 14 टावर बनने थे, जिन्हें बढ़ाकर पहले 15 फिर इन्हें 16 कर दिया गया। 2009 में इसमें फिर से इजाफा किया गया। 26 नवंबर 2009 को नोएडा अथॉरिटी ने फिर से 17 टावर बनाने का नक्शा पास कर दिया। 


दो मार्च 2012 को टावर 16 और 17 के लिए एफआर में फिर बदलाव किया। इस संशोधन के बाद इन दोनों टावर को 40 मंजिल तक करने की अनुमति मिल गई। इसकी ऊंचाई 121 मीटर तय की गई। दोनों टावर के बीच की दूरी महज नौ मीटर रखी गई। जबकि, नियम के मुताबिक दो टावरों के बीच की ये दूरी कम से कम 16 मीटर होनी चाहिए। 


अनुमति मिलने के बाद सुपरटेक समूह ने एक टावर में 32 मंजिल तक जबकि, दूसरे में 29 मंजिल तक का निर्माण भी पूरा कर दिया। इसके बाद मामला कोर्ट तक पहुंच गया। दिसंबर 2006 तक अदालत में प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों के अनुसार, यह उस योजना में था जिसे पहली बार जून 2005 में संशोधित किया गया था। बाद में 'ग्रीन' एरिया वह जमीन बन गया जिस पर सियेन और एपेक्स - ट्विन टावर्स बनाए जाने थे। एमराल्ड कोर्ट में रहने वालों ने इसे संज्ञान में लिया और मांग की कि सेयेन और एपेक्स को ध्वस्त कर दिया जाए क्योंकि इसे अवैध रूप से बनाया जा रहा है। इसके बाद तब इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील की, जिस पर अदालत ने अप्रैल 2014 में टावरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया। हालांकि, सुपरटेक ने फैसले के खिलाफ अपील की और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। सर्वोच्च न्यायालय ने मामले से संबंधित कई सुनवाई की। लेकिन कोर्ट ने भी अपना फैसला कायम रखा।


केरल में गिराई गई थी 19 मंजिला इमारतें


देश में बहुमंजिला इमारतें पहले भी गिराई गईं हैं। केरल के कोच्चि के मरादू में नियमों का उल्लंघन कर समुद्र किनारे बनाई गई 19 और 32 मंजिली दो इमारतों को सुप्रीम कोर्ट के ही आदेश पर 11 जनवरी 2020 को नियंत्रित विस्फोट के जरिये ढहा दिया गया था।



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