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प्रदर्शनी में युवतियों व महिलाओं को लुभा रही है कंजीवरम सिल्क व बनारसी साड़ियां

लखनऊ। उमंग आर्ट एंड क्राफ्ट्स एक्स्पो द्वारा ‘’फाईवर टू सिल्क फैब‘’ द्वारा कैसरबाग बारादरी में लगाई गई 8 दिवसीय प्रदर्शनी व सेल का उद्रघाटन बुधवार को बतौर मुख्य अतिथि मौजूद राज्यमंत्री संजय सिंह गंगवार ने किया। उन्होंने प्रदर्शनी में लगे स्टालों का भ्रमण भी किया और कारीगरों के हुनर की जमकर तारीफ की। इस मौके पर उन्होंने कहाकि इस तरह की प्रदर्शनी प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के लोकल फ़ॉर वोकल की मुहिम को साकार कर रही है और जरूरतमंदों को रोजगार भी मिल रहा है।

5 अक्टूबर तक चलने वाली स्पेशल करवा चौथ कलेक्शन प्रदर्शनी में उपलब्ध तमिलनाडु की कंजीवरम सिल्क साड़ी महिलाओं को अपनी ओर खींच रही है तो बनारसी साड़ी भी सभी के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। बंगलौर से आये गोवर्धन ने बताया कि उनके स्टॉल पर ढाई हजार रुपये से लेकर ढाई लाख रुपये तक की साड़ियों के 85 कलेक्शन है। 4 ग्राम गोल्ड व 150 ग्राम सिल्वर की जरी से तैयार ढाई लाख रुपये कीमत वाली हस्तशिल्प कंजीवरम प्योर जरी सिल्क साड़ी को तैयार करने में दो माह का वक्त लगा है। उन्होंने बताया कि लखनऊ में बीते वर्ष भी बेहतर रिस्पांस मिला था और इस बार भी काफी उम्मीदें हैं। 5 अक्टूबर तक प्रदर्शनी प्रतिदिन सुबह 10:30 बजे से रात्रि 9:30 बजे तक चलेगी।

उमंग आर्ट एंड क्राफ्ट्स एक्स्पो के आयोजक आशीष कुमार गुप्ता ने बताया कि संस्थान द्वरा आयोजित ’फाईवर टू सिल्क फैब प्रदर्शनी व सेल' में देशभर से आए सिल्क बुनकरों व डिजाईनरो ने अपने अपने प्रदेश की संस्कृति काव्य और त्योहारों को सिल्क पर छापा है। एक्जीवीशन में गुजरात की पटोला सिल्क, तेलांगना की उपाडा सिल्क, तमिलनाडु की कांजीवरम सिल्क, महाराष्ट्र की पैठानी सिल्क पर की गई कलाकारी लोगो को अपनी ओर खींच रही है। उन्होंने बताया कि कैसरबाग, बारादरी, लखनऊ में आयोजित फाईवर टू सिल्क फैब का मकसद देशभर के सिल्क उत्पादों का एक ही छत के तले प्रदर्शनी करना है। इस प्रदर्शनी में पश्चिम बंगाल के काला हस्ती से आए बुनकर ने भगवान श्रीकृष्ण के नोका विहार का दृश्य सिल्क पर पेंट किया किया है। 
आंध्रा के पोचमपल्ली से आए डिजाईनर ने सिल्क पर ग्रामीणों के जनजीवन को उकोरा है। गांवो के मेले, खेतो में जाती बैलगाड़ी के द्रश्यदृश्य और आदिवासी जनजीवन की झलक सिल्क को खास बना रही है। इसी साड़ियो को लद्दाख के त्रिपुड़ा में भेड़ो के बाल को सूतकर बनाया जाता है और फिर इन पर पेंटिंग की जाती है। दस साड़ियों पर बनी डिजाइनों में कश्मीरी केशर की डिजाइन के साथ ही कश्मीरी कहावा भी है। इसके साथ ही प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ से कोसा, घिचा, मलबरी रॅा सिल्क, एब्लॉक प्रिंटेड सिल्क साड़ी, गुजरात से बान्धनी, पाटोला कच्छ एम्ब्रोयडरीआ, मिरर वर्क एवं डिजाइनर कुर्ती, मध्य प्रदेश से चंदेरी, महेश्वरी काटन एण्ड सिल्क साडी सूट, डकारी जामदानी एवं बनारसी सिल्क, तान्चोयी सिल्क, मैसूर सिल्क की साड़ियों के साथ धर्मावरम तस्सर, ढाका, डिजाइनर ब्लाउज, सलवार सूट, पंजाब की फुलकारी वर्क सूट व साडी हैदराबाद की हैवी नेकलेस, नोज पिन, रिंग, बैंगल्स, मांग टीका, कमरबंद और मुंबई वेस्टर्न पैटर्न ज्वैलरी व पालकी ज्वैलरी भी है।

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