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पोषण अभियान : जन आंदोलन के माध्यम से व्यवहार में परिवर्तन

डॉ. मुंजपारा महेंद्र भाई (केंद्रीय महिला एवं बाल विकास एवं आयुष राज्य मंत्री)

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री के सुपोषित भारत आह्वान के अनुरूप प्रधानमंत्री समग्र पोषण योजना या पोषण अभियान- जो बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के बीच पोषण संबंधी परिणामों में सुधार के लिए भारत सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है- में पोषण पर विशेष ध्यान दिया गया है। इस कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा जमीनी स्तर पर समुदायों को गलत सूचना या बिना जानकारी वाली प्रथाओं, जो पीढ़ियों से निरंतर कुपोषण के कारण रही हैं, से मुकाबला करने के लिए एकजुट करना है। व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए कार्यक्रम के कुछ उपायों में शामिल हैं- समुदाय आधारित कार्यक्रमों का आयोजन (सीबीई); सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) तथा व्यापक सार्वजनिक भागीदारी सुनिश्चित करने के माध्यम से आग्रह करना तथा इसे जन आंदोलन का रूप देना। पोषण अभियान के उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मिशन पोषण 2.0 (सक्षम आंगनबाड़ी और पोषण 2.0) की घोषणा 2021-2022 के बजट में एक एकीकृत पोषण सहायता कार्यक्रम के रूप में की गई थी, ताकि पोषण सामग्री, उपलब्धता, पहुंच और परिणामों को बेहतर करने के लिए स्वास्थ्य, कल्याण तथा रोग व कुपोषण से प्रतिरक्षा को समर्थन देने वाले उभरते तरीकों पर विशेष ध्यान दिया जा सके।

डॉ. मुंजपारा महेंद्र भाई
यह कार्यक्रम जन आंदोलन के निर्माण के लिए सामाजिक और व्यवहार संबंधी परिवर्तन संचार (एसबीसीसी) को अपने रणनीतिक स्तंभों में से एक के रूप में मानता है। पोषण संबंधी परिणामों में सुधार के उद्देश्य से यह अभियान, जागरूकता अभियान चलाने और गतिविधियों का संचालन करने पर केंद्रित है और इसका उद्देश्य कुपोषण की चुनौती का मिशन-मोड में समाधान करना है।

सामुदायिक एकजुटता सुनिश्चित करने और लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए, अभियान ने विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये व्यवहार में परिवर्तन पर जोर देने के लिए पूरे साल निरंतर प्रयास किए हैं। इन अभियानों ने कई प्लेटफार्मों का लाभ उठाते हुए पोषण संबंधी विभिन्न संदेश प्रसारित किए हैं। समुदाय आधारित कार्यक्रमों के साथ-साथ, इन गहन अभियानों में शामिल हैं, पोषण माह और पोषण पखवाड़ा का वार्षिक आयोजन, जिनका उद्देश्य माताओं और समुदायों को स्वस्थ पोषण व्यवहार अपनाने के लिए प्रेरित करना है।

अभियान के तहत, प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र द्वारा सप्ताह के एक निश्चित दिन, महीने में दो बार, समुदाय आधारित कार्यक्रम (सीबीई) आयोजित किए जा रहे हैं। समुदाय आधारित कार्यक्रमों में; अन्नप्राशन दिवस, सुपोषण दिवस (विशेष रूप से पुरुषों को जागरूक करने पर केंद्रित), बच्चों के बड़े होने की ख़ुशी मनाने, आंगनबाड़ी केंद्र में स्कूल-से-पहले की तैयारी, पोषण में सुधार के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े संदेश, हाथ धोने और स्वच्छता का महत्व, रक्त की कमी (एनीमिया) की रोकथाम, पौष्टिक भोजन का महत्व, आहार विविधता आदि शामिल हैं। अभियान के शुभारंभ के बाद से देश भर के आंगनबाड़ी केंद्रों में 3.70 करोड़ से अधिक सीबीई आयोजित किए जा चुके हैं।

पोषण पर ध्यान केंद्रित करने एवं अच्छे पोषण तरीकों और व्यवहारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए, पोषण अभियान के जन आंदोलन घटक के तहत दो प्रमुख आउटरीच तथा सामाजिक और व्यवहार में परिवर्तन अभियान चलाए जाते हैं। अभियान के शुभारंभ के बाद से, चार 'राष्ट्रीय पोषण माह' - सितंबर में आयोजित होने वाला एक महीने का अभियान और चार 'पोषण पखवाड़ा' – मार्च में आयोजित होने वाला एक पखवाड़े का अभियान; व्यापक पहुंच और बेहतर परिणामों के साथ आयोजित किए गए हैं। प्रमुख कार्यक्रमों में शामिल हैं- पोषण मेला, प्रभातफेरी, स्कूलों में पोषण पर सत्र, स्वयं सहायता समूह की बैठकें, एनीमिया शिविर, बच्चों की वृद्धि की निगरानी, आशा/आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा घर का दौरा, ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता और पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) आदि।

अब तक आयोजित किए गए पोषण माह और पोषण पखवाड़ा कार्यक्रमों में सम्बन्धित मंत्रालयों, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और क्षेत्र पदाधिकारियों की उत्साह के साथ व्यापक भागीदारी देखी गयी है। अग्रिम मोर्चे के कार्यकर्ताओं, सामुदायिक समूहों, पीआरआई, ब्लॉक और जिला स्तर के कर्मचारियों, राज्य सरकार के विभागों व मंत्रालयों ने पोषण अभियान को जन आंदोलन बनाने की दिशा में कड़ी मेहनत करने का उदाहरण पेश किया है। चौथे राष्ट्रीय पोषण माह 2021 में 20.32 करोड़ गतिविधियां देखी गईं, जबकि 21 मार्च -4 अप्रैल, 2022 में आयोजित पोषण पखवाड़े के दौरान जन आंदोलन से जुड़ी 2.96 करोड़ गतिविधियां आयोजित की गईं।

मासिक सत्रों के माध्यम से पोषण अभियान के लाभार्थियों को पोषण के अलावा, अच्छे स्वास्थ्य और स्वच्छता प्रथाओं के बारे में जागरूकता प्रदान की जाती है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत ग्राम स्वास्थ्य और पोषण दिवस (वीएचएनडी) की परिकल्पना की गई थी। इसे 2007 से पूरे देश में एक सामुदायिक मंच के रूप में लागू किया जा रहा है, जो समुदाय और स्वास्थ्य प्रणालियों को आपस में जोड़ता है और एक-दूसरे से जुड़े कार्यों को सुविधाजनक बनाता है। यह स्वास्थ्य, प्रारंभिक बाल विकास और पोषण व स्वच्छता सेवाओं को घर पर उपलब्ध कराने तथा बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने का प्रयास करता है।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि समुदाय में आहार विविधता के बारे में जागरूकता पैदा करने और कुपोषित बच्चों को विभिन्न खाद्य समूह उपलब्ध कराने के लिए पोषण वाटिका या पोषण उद्यान विकसित किए गए हैं, ताकि समुदाय द्वारा उपयोग किये जाने के लिए स्थानीय व मौसमी उपज के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा सके। पोषण वाटिका का मुख्य उद्देश्य जैविक रूप से उगाई गई सब्जियों और फलों के माध्यम से पोषण की आपूर्ति सुनिश्चित करना है। उल्लेखनीय है कि आयुष के समर्थन से पौधरोपण अभियान के तहत 21 जिलों में 1.10 लाख औषधीय पौधे लगाये गए। इसके अतिरिक्त, 4.37 लाख आंगनबाड़ी केन्द्रों के लिए अपने स्वयं के पोषण वाटिका की व्यवस्था की गयी है।

जन आंदोलन को जनभागीदारी में बदलने के उद्देश्य से राष्ट्रीय पोषण माह का पांचवां संस्करण अभी चल रहा है। यह पोषण पंचायतों के रूप में कार्य करने वाली ग्राम पंचायतों के माध्यम से संदेश का प्रसार करके कुपोषण की चुनौती का समाधान करने का प्रयास करता है। पोषण पंचायतों में विशेष ध्यान "महिला और स्वास्थ्य" एवं "बच्चा और शिक्षा" पर है। राष्ट्रीय पोषण माह; पोषण और अच्छे स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक प्लेटफार्म के रूप में कार्य करता है और सामंजस्यपूर्ण तरीके से पोषण अभियान के सभी लक्ष्यों को प्राप्त करना चाहता है।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा संचालित राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-5), (2019-21) की हाल ही में जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 4 (एनएफएचएस-4), (2015-16) की तुलना में विभिन्न पोषण संकेतकों में सुधार किया है। एनएफएचएस-5 के आंकड़ों के मुताबिक, बच्चों में बौनापन 38.4 प्रतिशत से घटकर 35.5 प्रतिशत; वेस्टिंग 21.0 प्रतिशत से घटकर 19.3 प्रतिशत और कम वजन की मौजूदगी 35.8 प्रतिशत से घटकर 32.1 प्रतिशत हो गयी है। इसके अलावा, (15-49 वर्ष) आयु वर्ग की महिलाओं का प्रतिशत, जिनका लम्बाई-वजन अनुपात (बॉडी मास इंडेक्स) सामान्य से कम है, एनएफएचएस-4 के 22.9 प्रतिशत से घटकर एनएफएचएस-5 में 18.7 प्रतिशत रह गया है।

एक नेक और समग्र लक्ष्य के साथ शुरू किए गए पोषण अभियान का उद्देश्य व्यवहार में बदलाव लाना और छोटे बच्चों, किशोर लड़कियों, गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं व पति, पिता, सास और समुदाय के सदस्यों, स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं (एएनएम, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता) सहित परिवार के सदस्यों के बीच पोषण संबंधी जागरूकता बढ़ाना है। यह जागरूकता, समुदाय स्तर के प्रयास और सामुदायिक भागीदारी पर विशेष ध्यान देने के साथ महत्वपूर्ण पोषण व्यवहार पर आधारित होनी चाहिए। लोगों में सकारात्मक स्वास्थ्य व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए व्यवहार परिवर्तन केन्द्रित संचार एक शक्तिशाली उपाय है। पोषण अभियान की सफलता, पोषण के एजेंडे को सार्वजनिक चर्चा के केंद्र में लाने की उपलब्धि में निहित है।

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