लखनऊ। श्रीराम लीला समिति ऐशबाग के तत्वावधान में चल रहे 12 दिवसीय 'रामोत्सव -2022' के दूसरे दिन मंगलवार को फुलवारी लीला, जनक प्रतिज्ञा, धनुष यज्ञ, सीता स्वयंवर, परशुराम लक्ष्मण संवाद, राम जानकी विवाह, विदाई लीला ने भाव विभोर किया।फुलवारी लीला में प्रात: काल राम और लक्ष्मण गुरु की आज्ञा से पुष्प वाटिका में पुष्प लेने के जाते हैं, जहां पर वह पुष्प चुनते हुए सीता को देखते हैं, इस दौरान सीता, राम को और राम, सीता को एकटक निहारते रहते हैं। लक्ष्मण के हस्तक्षेप से राम पुष्प लेकर गुरु के पास महल लौट जाते हैं।
उधर राजा जनक ने एक दिन अपने महल में सीता को सफाई करते हुए भगवान शिव के धनुष को एक स्थान से दूसरे स्थान पर रखते हुए देखा तो उन्होने प्रतिज्ञा की, कि जो भी इस धनुष की प्रतन्यचा को चढ़ा देगा, उसका विवाह वह सीता के साथ करेंगे। इसी विचार से उन्होने भगवान शिव के धनुष की पूजा अर्चना और यज्ञ कर सीता स्वयंवर की घोषणा की। जो भगवान शिव के धनुष को तोड़ देगा, उसका विवाह वह सीता के साथ करेंगे।
सीता स्वयंवर के लिए सभी देशों को निमन्त्रण भेजे गए, जिसको पाकर सभी देशों के राजकुमार, राजा और राम गुरू विश्वामित्र के साथ पहुंचे। सभी ने उस धनुष को उठाने की भरसक कोशिश की, लेकिन कोई उसे रंच मात्र भी हिला न सका। गुरू की आज्ञा पाकर राम ने भगवान शिव के धनुष को एक झटके में उठा कर उसकी प्रत्यंचा को जैसे चढ़ाया धनुष टूट गया। सभी देवी-देवताओं ने आकाश से पुष्प वर्षा की।
धनुष टूटते ही परशुराम जनक के महल में प्रवेश करते हैं और धनुष तोड़ने वाले को ललकारते रहें, जिसको सुनकर लक्ष्मण को क्रोध आ जाता है और वह परशुराम से विवाद करने लगते हैं। यह देखकर राम, उन दोनों के पास जाते हैं और लक्ष्मण की बात के लिए परशुराम से क्षमा याचना करते हैं। परंतु इसके बावजूद परशुराम, राम से युद्ध के लिए तत्पर हो जाते हैं और जैसे वह राम के ऊपर अपना फरसा उठाते हैं, उनके सामने भगवान विष्णु के रूप में राम दिखाई देते हैं। परशुराम, राम से क्षमा मांग कर उन्हें दण्डवत प्रणाम करते हैं, जिसके उपरान्त सीता, राम के गले में जयमाला डाल देती हैं। इसी क्रम में राम का विवाह सीता के साथ और बाकी तीनों भाईयों का विवाह भी हो जाता है। विवाह के उपरान्त अगले दिन सीता की विदाई होती है और सभी अयोध्या के लिए प्रस्थान करते हैं, इसी प्रसंग के साथ लीला का समापन हो जाता है।
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