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दुखों से मुक्ति पाने के लिए अवश्य सुननी चाहिये श्रीराम कथा - गोविंद मिश्रा

राज्याभिषेक, पूर्णाहुति व विशाल भण्डारा 8 दिसंबर को

लखनऊ। नारी के दो रूप भक्ति व माया है। माया भक्ति की खोज व प्राप्ति में सबसे बड़ी बाधा है, माया से दूर रह कर ही राम को पाया जा सकता है। माता सीता (भक्ति) को पाने की तीन युक्ति विश्वास, शंकरजी का भजन व राम कृपा है। इन तीनों युक्ति के बिना भक्ति नहीं मिलेगी। 
सेक्टर-’ए’ सीतापुर रोड योजना कालोनी में स्थित विश्वनाथ मन्दिर के 31वें स्थापना दिवस के मौके पर श्रीरामलीला पार्क में चल रहे मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीरामकथा के आठवें व अंतिम दिन बुधवार को कथाव्यास आचार्य गोविंद मिश्रा ने कहाकि चार प्रमुख बाधाओं को पार कर हनुमान जी ने लंका में प्रवेश किया। घर-घर, मंदिर-मंदिर माता सीता की खोज की लेकिन सफलता नहीं मिली। 
उन्होंने बताया कि माया के तीन रूप सदोगुण, रजोगुण व तमोगुण होते हैं। रजोगुण वासना व तमोगुण आलस्य व प्रमाध का प्रतीक है। हनुमान ने इन तीनों से पार पाकर ही भक्ति की रूप माता सीता को खोजने में सफलता पायी। उन्होंने कहाकि समस्त दुखों व संसय से मुक्ति पाने के लिए श्रीराम कथा अवश्य सुननी चाहिये। 
14 वर्षों का वनवास पूरा कर अयोध्या वापसी का प्रसंग सुनाते हुए गोविंद मिश्रा ने कहाकि प्रभु श्रीराम के आगमन की जानकारी मिलते ही पूरी अयोध्या नगरी खुशी से झूम उठी और सभी हर्षित होकर प्रभु श्रीराम के स्वागत के लिये दौड़ पड़े। आकाश में विमान को देख हर्षित होकर महिलाये सुंदर मंगलगीत गाने लगी। 

कथाव्यास ने पावन कथा के माध्यम से परिवार व समाज में मर्यादित आचरण, आपसी सामंजस्य स्थापित करने की सीख दी और कहाकि परिवार राममय होगा व बच्चों में संस्कार बढ़ेगा। महिला सत्संग मण्डल की अध्यक्षा कमलेश दुबे ने बताया कि गुरुवार को हवन-पूर्णाहुति एवं विशाल भण्डारे के साथ मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम कथा का विश्राम होगा। इस मौके पर राम अभिलाख पाण्डेय, शीलू श्रीवास्तव, राजीव मेहरोत्रा, आशा तिवारी, धर्मशिला मिश्रा सहित काफी संख्या में भक्त मौजूद रहे।

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