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रामराज्य के विचार का वैश्विक, सांस्कृतिक केंद्र होगा भव्य श्रीराम मंदिर - राजनाथ सिंह

महर्षि महेश योगी की 106वीं जयंती पर जुटे देशभर के संत

लखनऊ। समाज और राजनीति के प्रति महर्षि महेश योगी के बड़े दूरदर्शी विचार थे, उनका मानना था कि रामराज्य केवल त्रेता की ही चीज़ नहीं है, बल्कि इस कलियुग में भी उसकी स्थापना हो सकती है। रामराज्य की स्थापना से उनका तात्पर्य एक आदर्श समाज से था, जहाँ एक मानव दूसरे मानव को समझ सके। महर्षि महेश योगी ने जिस राम राज्य की परिकल्पना पिछली शताब्दी के आठवें दशक में की थी, वह उनके लिए केवल विचार नहीं था। उसको धरातल पर लाने के लिए उन्होंने बहुत प्रयास भी किया। उन्होंने ‘राम राज्य’ के विचार की राजधानी अयोध्या में स्थापित करने का संकल्प लिया था। आज हम सब के लिये हर्ष का विषय है अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बन रहा है। वह मंदिर केवल प्रभु श्रीराम का मंदिर मात्र नहीं होगा बल्कि रामराज्य के विचार का वैश्विक, सांस्कृतिक केंद्र होगा, ऐसा मेरा विश्वास है। अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य दिव्य मंदिर के लिये इस देश में नई सांस्कृतिक चेतना का निर्माण हुआ है। इसी नई सांस्कृतिक चेतना ने एक नए भारत को जन्म दिया है, जो सशक्त और समृद्धशाली भारत हो। 
महर्षि महेश योगी की 106वीं जयंती के मौके पर गुरुवार को महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ़ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी में आयोजित संत समागम में उक्त विचार बतौर मुख्य अतिथि मौजूद केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने व्यस्त किये। उन्होंने कहाकि आज का दिन बड़ा ऐतिहासिक दिन है। 12 जनवरी को तीन महापुरुषों की जयंती मनाई जाती है। स्वामी विवेकानंद ने भारतीय अध्यात्म, ज्ञान व संस्कार से पूरे विश्व का परिचय कराया। वहीं महर्षि महेश योगी ने योग और साधना के भारतीय ज्ञान को पश्चिमी देशों तक पहुंचाया। दोनों ही सांस्कृतिक दूत माने जाते हैं। यदि स्वामी विवेकानंद ने पश्चिम में ज्ञान की पताका न फहराई होती तो महर्षि महेश योगी जैसे योगाचार्यों की राह शायद और जटिल हो जाती। स्वामी विवेकानंद ने प्राचीन भारतीयता पताका को आधुनिक आधार प्रदान कर सम्पूर्ण विश्व में लहराया और भारतीय मूल्यों व सनातन धर्म को दुनिया भर में प्रसारित किया। उनके बाद भारतीयता को महर्षि महेश योगी ने सम्पूर्ण विश्व में सर्वाधिक प्रचारित किया। 
उन्होंने कहा कि मानवता के समक्ष जब जब भी संकट आया, अज्ञानता के अंधकार में जब जब भी समाज डूबा तब तब समाज में ऐसे युग पुरुषों ने अपने ज्ञान के तेज से समाज को आलौकित किया और उसे नई राह दिखाई। महर्षि महेश योगी वैदिक धर्म और अध्यात्म के ऐसे शिखर पुरुष थे जिन्होंने ज्ञान पुंज को न सिर्फ अपने भीतर धारण किया बल्कि उसके प्रकाश से पूरे विश्व को प्रकाशमान किया। राजनाथ सिंह ने कहाकि महर्षि महेश योगी ने हर ओर वैदिक धर्म को सिद्ध किया। उन्होंने विभिन्न प्रांतों के दौरे किए और वैदिक धर्म के पुनरुत्थान का कार्य किया। 
केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि दुनिया वैज्ञानिक तरक्की के साथ ही अवसाद से घिरती जा रही है। मनोरोगियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।दुनिया के देशों में विलगाव इसके उदाहरण हैं। जितनी भी समस्याएं हैं वो मानव के मन के कारण है। मानव आत्मिक सुख को ऐसे ढूंढ रहा है जैसे कोई मृग जंगल में कस्तूरी ढूंढता फिरता है। यह मानवता के लिए खतरनाक है। उन्होंने कहा कि प्राचीन, ज्ञान, साधना और तप को आधार बनाकर भारत एक बार फिर पूरे विश्व का मार्गदर्शन कर सकता है। यह ताकत भारत के पास आज भी है। महर्षि महेश योगी द्वारा मानवता को सबसे बड़ी देन भावातीत ध्यान थी, जिसकी जानकारी संतो ने भी दी है। इस ध्यान का नियमित अभ्यास व्यक्ति की समस्याओं का समाधान करता है। भावातीत ध्यान के माध्यम से महर्षि ने धर्म और अध्यात्म को एक धरातल पर लाकर खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि जैसे जैसे आपका मन बड़ा होता जाएगा आप अध्यात्म को हासिल करते चले जायेंगे। लेकिन छोटे मन का व्यक्ति कभी आध्यात्मिक ऊंचाइयों को हासिल नहीं कर सकता है, वह कभी आध्यात्मिक नहीं हो सकता है। राजनाथ सिंह ने कहाकि महर्षि महेश योगी ने हर ओर वैदिक धर्म को सिद्ध किया। उन्होंने विभिन्न प्रांतों के दौरे किए और वैदिक धर्म के पुनरुत्थान का कार्य किया। 
संत समागम में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी जी (श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा), महंत रविन्द्र पुरी जी महाराज (अध्यक्ष, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद), सुधांशु जी महाराज, डॉ. रामविलास वेदांती जी महाराज (पूर्व सांसद हिंदू धाम श्री अयोध्या),  महंत कमल नयनदास जी महाराज (छोटी छावनी श्री अयोध्या), स्वामी विद्या चैतन्य जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी सच्चिदानंद (श्री चित्रगुप्त पीठाधीश्वर कैलाशपीठ नेपाल), महामंडलेश्वर शिव प्रेमानंद जी महाराज (हरिद्वार), आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी जी महाराज (आनंद पीठाधीश्वर श्री पंचायती आनंद अखाड़ा), महामंडलेश्वर रामेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज, स्वामी विकास दास जी महाराज, सुरेश दास जी (दिगंबर अखाड़ा श्री अयोध्या), महंत राजकुमार दास (राम वल्लभा कुंज श्री अयोध्या), राजू दास जी महाराज (हनुमानगढ़ी श्री अयोध्या), महंत रामदास जी (नाका हनुमानगढ़ी, श्री अयोध्या), महंत धर्मदास जी (हनुमानगढ़ी श्री अयोध्या), महंत पवनदास जी (शत्रुघ्न निवास झुनकी घाट श्री अयोध्या), मैथिली शरण दास (लक्ष्मण किलाधीश श्री अयोध्या), महंत मिथलेश नाथ (देवीपाटन), स्वामी जितेंद्रानाथ सरस्वती (राष्ट्रीय महामंत्री अखिल भारतीय संत समिति गंगा महासभा), स्वामी चिन्मयानंद बापू जी महाराज (कथावाचक), आचार्य सतीश सद्गुरु नाथ, स्वामी विश्वेश प्रपन्नाचार्य जी महाराज (सुग्रीव किला, श्री अयोध्या) सहित कई संतों ने भी अपने विचार व्यक्त किये। 

संत समागम में राम मुद्रा को चलन में लाने की मांग ने भी जोर पकड़ा। संतों ने ऐलान किया कि महर्षि संस्थान अयोध्या में रामायण विश्वविद्यालय बनाएगा। हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास ने अयोध्या की तर्ज पर मथुरा वृन्दावन में मंदिर बनाने की मांग की। राम मुद्रा को चलन में लाने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि हॉलैंड में महर्षि महेश योगी ने राम मुद्रा के संचालन की शुरुआत की थी। 
महर्षि यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति अजय प्रकाश श्रीवास्तव ने सभी संतों, केन्द्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह सहित सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किया और सभी का आभार जताया। इस मौके पर सांसद रीता बहुगुणा जोशी, पूर्व कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह, विधायक डा. नीरज बोरा, विधायक राजेश्वर सिंह, विधायक योगेश शुक्ला, एमएलसी पवन सिंह चौहान, एमएलसी मुकेश शर्मा, महापौर संयुक्ता भाटिया सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। 

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