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SBI : लखनऊ और साहित्य का अटूट रिश्ता है

लखनऊ। भारतीय स्टेट बैंक, स्थानीय प्रधान कार्यालय में “हिन्दी साहित्य और लखनऊ” विषय पर मंगलवार को “ज्ञानवार्ता” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में वक्ता और विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित विद्वान प्रोफ़ेसर नलिन रंजन सिंह ने लखनऊ और हिन्दी साहित्य के पुराने सम्बन्धों को केन्द्र में रखते हुए अमृतलाल नागर, भगवतीचरण वर्मा और यशपाल जैसे मूर्धन्य लेखकों के साहित्यिक अवदान की चर्चा की। पद्मश्री योगेश प्रवीण ने लखनऊ की संस्कृति, स्थापत्य, साहित्य और इतिहास से आम जनमानस को परिचित कराने के लिए जो भगीरथ प्रयत्न अपनी किताबों के माध्यम से किया है, प्रोफ़ेसर सिंह ने उसे भी अपने व्याख्यान में रेखांकित किया।

लखनऊ के नामकरण के ऐतिहासिक संदर्भों से शुरू करते हुए उन्होंने हिन्दी और उर्दू को एक चेहरे की दो आँखें बताते हुए दोनों के साहित्य और लखनऊ से उनके रिश्तों पर तथ्यपरक बातें कहीं। मण्डल महाप्रबन्धक एडी रत्न तेजा एवं आनन्द बिक्रम भी उपस्थित रहे। महाप्रबंधक आनन्द बिक्रम ने लखनऊ के इतिहास, साहित्य और संस्कृति पर आधारित सारगर्भित व्याख्यान के लिए श्री सिंह का आभार व्यक्त किया।उप महाप्रबन्धक एवं मण्डल विकास अधिकारी राजेश कुमार मीणा ने प्रोफ़ेसर सिंह के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि इस प्रकार की परिचर्चाएँ निश्चय ही भाषा और साहित्य की बेहतर समझ विकसित करेंगी। उन्होंने इस प्रकार का ज्ञानवर्धक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए राजभाषा विभाग की प्रशंसा करते हुए आगे भी इन्हें जारी रखने की अपेक्षा व्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन मुख्य प्रबन्धक (राजभाषा) दिवाकर मणि ने किया।

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