google.com, pub-1705301601279513, DIRECT, f08c47fec0942fa0/> इस दिन रंगप्रेमी मंच पर देखेंगे 'एक नौकरानी की डायरी'

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इस दिन रंगप्रेमी मंच पर देखेंगे 'एक नौकरानी की डायरी'

लखनऊ। वरिष्ठ रंगकर्मी प्रदीप घोष द्वारा निर्देशित 'एक नौकरानी की डायरी' का मंचन उ.प्र. संगीत नाटक अकादमी भवन गोमतीनगर के संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह में 12 मई को सायंकाल सात बजे मंचित होगा। प्रस्तुति हिन्दी साहित्य के एक लब्ध प्रतिष्ठित हस्ताक्षर कृष्ण बलदेव वैद के इसी शीर्षक से लिखे उपन्यास पर आधारित है। इसका नाट्य रूपांतरण स्वयं निर्देशक ने किया है।

 'एक नौकरानी की डायरी' प्रबुद्ध साहित्यकार कृष्ण बलदेव वैद का एक  महत्वपूर्ण उपन्यास है, जिसे पढ़ते समय हमारे समक्ष घरेलू कामगारों की मनोव्यथा, उनका जीवन संघर्ष एवं जिजीविषा प्रत्यक्ष हो उठती हैं। घरों में काम करने वालियों की यह एक अद्भुत जीवन गाथा है। इसमें वंचित एवं उपेक्षित वर्ग की लड़कियों के जीवन संघर्ष के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाया गया है। कृष्ण बलदेव वैद एक ऐसे अनूठे रचनाकार रहे, जिन्होंने अपने साहित्य में प्रतीक और प्रगतिवादी कथा शैली के अर्थपूर्ण प्रयोग किए। नर-नारी, गुजरा हुआ जमाना, माया लोक आदि इनके प्रसिद्ध उपन्यास हैं। नाटक, कहानी, डायरी पर भी इनकी मजबूत पकड़ थी।

रिहर्सल के दौरान निर्देशक ने बताया कि नाट्य रूपांतरण करते हुए उनकी पूरी कोशिश रही की मुख्य पात्र शांति की वेदना, मानसिक द्वंद, उसकी पीड़ा, खुशियां सच्चाई के साथ दर्शकों  के समक्ष प्रस्तुत कर सकें। साथ ही प्रस्तुति एकरस न बने और दर्शकों की उत्कंठा भी लगातार बनी रहे। उपन्यास के अन्य विषयों और घटनाओं को दूसरे पात्रों  के बीच वार्तालाप के माध्यम से  सरल भाषा में व रोचकता के साथ प्रस्तुत करने की कोशिश हो रही है।


निर्देशक प्रदीप घोष लगभग तीन दशकों से नाट्य लेखन, अभिनय व निर्देशन की विधा से जुड़े रहे हैं। इन्होंने बहुत सी कहानियों व उपन्यासों का रुपांतरण व निर्देशन किया है। मुख्यतः रवीन्द्र नाथ टैगोर की- शास्ती, हरिशंकर परसाई की- इन्सपेक्टर मातादीन चाँद पर, लूशून की- मैड मैन्स डायरी, गोर्की की- पेपे की नई दुनिया, प्रेमचंद की- कई कहानियां, अखिलेश की- चिठ्ठी, किरन सिंह की- संझा आदि। प्रदीप द्वारा लखनऊ की कबूतरबाजी़ पर बनाई गई डाक्यूमेंट्री लखनऊ व दिल्ली टीवी से प्रसारित हो चुकी है। इनकी लघु फिल्म- द डर्टी ईवनिंग इन्टरनेशनल फिल्म फेस्टिवल से सर्वश्रेष्ठ संदेश देने वाली लघु फिल्म के रूप में पुरस्कृत हुई है। नाटक में नरेंद्र पंजवानी, ज्योति नंदा, कृतिका, रोहित सिंह, शिबू चौधरी, अनन्या और केके पांडेय के साथ ही पार्श्व में ऋषि श्रीवास्तव, करन सिंह, मनीष सिंह आदि कार्य कर रहे हैं।

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