मुख्य सचिव की अध्यक्षता में लखपति दीदी कार्यक्रम के तहत गठित एसएलसीसी की प्रथम बैठक सम्पन्न*
दीदी की रसोई’ अब औद्योगिक क्षेत्रों में भी होगी विस्तारित
लखनऊ। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में लखपति दीदी कार्यक्रम के अंतर्गत गठित राज्य स्तरीय समन्वय समिति (एसएलसीसी) की प्रथम बैठक आज आयोजित हुई।
मुख्य सचिव ने मिशन द्वारा महिलाओं को लखपति बनाने के लिए किए जा रहे विभिन्न प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि ‘दीदी की रसोई’ के समान प्रेरणा कैंटीन को स्कूलों के साथ-साथ औद्योगिक क्षेत्रों में भी विस्तारित किया जाए। उन्होंने विभिन्न विभागीय योजनाओं के साथ समन्वय स्थापित करने पर जोर दिया ताकि कार्यक्रम का प्रभाव और बढ़ाया जा सके।
बैठक में यूपीएसआरएलएम की मिशन निदेशक सुश्री दीपा रंजन ने बताया कि अब तक 17.09 लाख महिलाएं लखपति दीदी बन चुकी हैं। 7 लाख 17 हजार स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को रिवॉल्विंग फंड प्रदान किया गया। 5 लाख 74 हजार एसएचजी को सामुदायिक निवेश निधि दी गई। 7 लाख 26 हजार एसएचजी को बैंक ऋण उपलब्ध कराया गया। 49,800 दीदियों को एकीकृत कृषि क्लस्टर (आईएफसी) से जोड़ा जा रहा है। 5,000 दीदियों को मधुमक्खी पालन, 2,500 को रेशम पालन, और 2,000 को मत्स्य पालन से जोड़ा गया। 20,000 दीदियों को एक लाख महिला उद्यमी (डीए) के लिए चयनित किया गया।
यह भी बताया गया कि 30,100 विद्युत सखी और 39,779 बीसी सखी ऑनबोर्ड हो चुकी हैं। स्वयं सहायता समूह उद्यमिता विकास कार्यक्रम (एसवीईपी) के तहत 30,561 लघु उद्यमियों को विकसित किया गया। 20,000 दीदियों को प्रेरणा ओजस (सोलर शॉप, सोलर प्रोडक्ट असेंबली, डीआरई) से जोड़ा गया। 5 दुग्ध उत्पादक कंपनियों के माध्यम से 2.64 लाख दीदियों को लाभान्वित किया गया। 1,80,288 दीदियों को उत्पादक समूह (पीजी) और 23,509 दीदियों को किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) से जोड़ा गया।
टेक होम राशन प्लांट (टीएचआर) के माध्यम से 1.25 लाख दीदियों को लाभ मिल रहा है। प्रधानमंत्री फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज (पीएमएफएमई) के तहत 8,929 एसएचजी दीदियों को जोड़ा गया। वर्ष 2026-27 तक 28.92 लाख स्वयं सहायता समूह सदस्यों की वार्षिक पारिवारिक आय को एक लाख रुपये से अधिक करने की योजना है। बैठक में संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारीगण आदि उपस्थित थे।
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