लखनऊ। उत्तर प्रदेश में स्कूलों के विलय के मामले में हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। लखनऊ बेंच की जस्टिस पंकज भाटिया की एकल पीठ ने सरकार के फैसले को बरकरार रखा और याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि सरकार का फैसला उचित है और इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने दोनों पक्षों दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 4 जुलाई 2025 को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
उत्तर प्रदेश सरकार ने लगभग 5,000 स्कूलों को विलय करने का फैसला लिया था, जिनमें छात्रों की संख्या बहुत कम थी। इस फैसले के खिलाफ कुछ अभिभावकों और छात्रों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अनुज कुदेसिया, मुख्य स्थायी अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह और निदेशक बेसिक शिक्षा के अधिवक्ता संदीप दीक्षित ने कोर्ट में पक्ष रखा। सरकार ने दलील दी कि यह निर्णय बच्चों के हित और संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए लिया गया है। उन्होंने कहा कि कई स्कूलों में छात्रों की संख्या न के बराबर है, और कुछ स्कूलों में तो एक भी छात्र नामांकित नहीं है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि मर्जर का अर्थ स्कूलों को बंद करना नहीं है, बल्कि उनकी ‘पेयरिंग’ करना है, जिससे शिक्षकों, भवनों और डिजिटल सुविधाओं का बेहतर उपयोग हो सके।
सीतापुर जिले के 51 स्कूली बच्चों और अन्य याचिकाकर्ताओं, जिनमें कृष्णा कुमारी शामिल थीं, ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की थीं। इन याचिकाओं में दावा किया गया था कि सरकार का यह मर्जर आदेश मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 का उल्लंघन करता है।
क्या था याचिकाकर्ताओं का तर्क?
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि स्कूलों के विलय से छात्रों की शिक्षा प्रभावित होगी और उन्हें अधिक दूरी तय करनी पड़ेगी। लेकिन कोर्ट ने इन तर्कों को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता डॉ. एल.पी. मिश्र और गौरव मेहरोत्रा ने तर्क दिया कि स्कूलों के विलय से छोटे बच्चों को दूर के स्कूलों तक जाना पड़ेगा, जिससे उनकी शिक्षा में बाधा और सुरक्षा संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को कम छात्र संख्या वाले स्कूलों का स्तर सुधारने का प्रयास करना चाहिए, न कि उन्हें बंद करने या मर्ज करने का आसान रास्ता अपनाना चाहिए।
सरकार की योजना
उत्तर प्रदेश सरकार की योजना के तहत, जिन स्कूलों में छात्रों की संख्या कम है, उन्हें पास के बड़े स्कूलों में विलय कर दिया जाएगा। इससे संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा और छात्रों को बेहतर शिक्षा मिलेगी। अब सरकार इस योजना को लागू करने के लिए आगे बढ़ेगी और स्कूलों के विलय की प्रक्रिया शुरू करेगी। इससे छात्रों को बेहतर शिक्षा और संसाधनों का लाभ मिलेगा।
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