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लखनऊ मेट्रो : ‘ग्रीष्मकालीन कार्यशाला एवं कला प्रदर्शनी' शुरू, कला की बारीकियों से रूबरू होंगे बच्चे

यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने किया 5 दिवसीय प्रदर्शनी का शुभारंभ

लखनऊ। हुसैनगंज मेट्रो स्टेशन पर ईवेंटलोप एवं सोशियो टैब
आयोजित "समर मेट्रो फेयर-2022" के 5 दिवसीय ‘ग्रीष्मकालीन कार्यशाला एवं कला प्रदर्शनी' में बच्चे व युवा कला की बारीकियों से रूबरू होंगे। वहीं बच्चों के लिए मेडिकल और डेंटल चेकअप कैंप भी लगेगा। 25 मई तक चलने वाली इस प्रदर्शनी का शुभारंभ शनिवार को बतौर मुख्य अतिथि मौजूद यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव, विशिष्ठ अतिथि डिसेबल क्रिकेट काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष स्क्वाड्रन लीडर (सेवानिवृत्त) ए.पी. सिंह ने किया। नेहा माथुर (संस्थापक ईवेंटलोप) एवं अर्जुन चौधरी (संस्थापक सोशियो टैब) ने मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि को स्मृति चिन्ह प्रदान किया। आयोजन के पहले दिन हुसैनगंज मेट्रो स्टेशन पर प्रो. सुखवीर सिंघल और उनकी नातिन प्रियम चंद्रा की कलाकृतियों का प्रदर्शन किया गया।
इस अवसर पर दोनों अतिथि प्रो. सुखवीर सिंघल एवं प्रियम चन्द्रा की बनाई पेंटिग्स से परिचित हुए। कार्यक्रम का समापन दोनों अतिथियों के संबोधन और विभिन्न कलाकारों की संगीतमय प्रस्तुति के साथ हुआ। 5 दिवसीय ग्रीष्मकालीन कार्यशाला एवं प्रदर्शनी के दौरान चित्रकार डॉ. स्तुति सिंघल वंचित वर्ग के बच्चों को वाश तकनीक से चित्रकला के गुर सिखाएंगी। इसके अलावा बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए मेडिकल और डेंटल चेकअप कैंप भी लगाया जाएगा। यह कार्यशाला 25 मई तक चलेगी।
यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने इस कार्यशाला एवं प्रदर्शनी के आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि, "लखनऊ मेट्रो लोगों को विश्व स्तरीय यात्रा सेवा मुहैया कराने के साथ-साथ प्रतिभाशाली कलाकारों को भी मंच प्रदान कर रहा है। कला की उन्नति और उसे अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के संकल्प के तौर पर हमने ये पहल की है, जहां बच्चों को कला की बारीकियों को सीखने का अवसर मिलेगा। वंचित वर्ग के बच्चों के लिए यहां मेडिकल कैंप भी लगाया जाएगा जिसमें उनके शरीर और दांतों के स्वास्थ्य की जांच होगी। 

उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन के बदौलत मिलने वाले प्रोत्साहन से कलाकारों को उनके लक्ष्य तक पहुंचने में मदद मिलती है साथ ही उनका कार्य अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच पाता है। युवा पीढ़ी में भी रचनात्मकता का विकास होता और समाज के लिए एक सुनहरे भविष्य की बुनियाद तैयार होती है।"
होंगें ये कार्यक्रम
DAY 2 (22nd May, 2022)
11:00 AM - 06:00 PM
Art Exhibition by Prof. Sukhvir Sanghal

DAY 3 (23rd May, 2022)
11:00 AM - 06:00 PM
Art Exhibition by Prof. Sukhvir Sanghal

03:00 PM - 04:30 PM
‘Fine Arts with Wash Technique’ 
Workshop by Dr. Stuti Singhal

04:30 PM - 05:00 PM
Dental Camp for Underprivileged Kids 
by Dr Saurabh  Bhalla, Anugrah Dental Clinic

DAY 4 (24th May, 2022)
11:00 AM - 06:00 PM
Art Exhibition by Prof. Sukhvir Sanghal

03:00 PM - 04:30 PM
‘Fine Arts with Wash Technique’ 
Workshop by Dr. Stuti Singhal

04:30 PM - 05:00 PM
Medical Camp for Underprivileged Kids 

DAY 5 (25th May, 2022)
CLOSING CEREMONY

11:00 AM - 01:00 PM
Guest Arrival
Certificate Distribution
Free Metro Ride for underprivileged Kids
प्रियम चंद्रा ने बताया कि उनके नाना प्रो. सुखवीर सिंघल लखनऊ कला एवं शिल्प महाविद्यालय के छात्र रहे। उनके गुरु असित कुमार हलदर थे। इलाहाबाद में कलाभारती संस्था के तहत कला के अलावा गीत-संगीत और वादन गुर सिखाते रहे। वापस लखनऊ कला एवं शिल्प महाविद्यालय के बतौर प्रोफेसर अध्यापन के बाद प्राचार्य भी बने। सेवानिवृत्त के बाद वह अंतिम क्षण तक सृजन और कला प्रशिक्षण में लीन रहे।
प्रो. सुखवीर ने भिन्न भिन्न माध्यमों पर वॉटर कलर्स से, ऑयल कलर्स, टेपेस्ट्रीवर्क, मूर्तिकारी, लेदर पर फाइन आर्ट और पोटेªट भी बनाए। कला जगत् के इस गुरु ने अपना सम्पूर्ण जीवन कला को समर्पित कर दिया और सौ से भी ज्यादा पेंटिंग्स बनायी। इनकी चित्रकला में इनके अपने खुद के विचार और भावनाओं की झलक देखने को मिलती है। प्रो. सुखवीर की लिखी पुस्तक ‘भारतीय चित्रकला पद्धति’ प्रकाशित है। इलाहाबाद में प्रो. सुखवीर सिंघल ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के कहने पर ‘एवेल्यूशन ऑफ आर्ट एंड आर्टिस्ट’ की रचना की थी। चित्रकला प्रदर्शनी प्रतिदिन सुबह 11 से शाम 6 बजे तक लगी रहेगी।
प्रो. सुखवीर सिंघल के दामाद राजेश चंद्र जायसवाल ने बताया कि वॉश तकनीक उनके ससुर बंगाल स्कूल ऑफ आर्टस से अलग भीड़ का चित्रण बखूबी करते थे। जो अत्यंत मुश्किल चित्रण किया। उनकी चर्चित पेंटिंग बारात और औरंगजेब के दरबार में वीर शिवाजी दुनिया में जानी गई। पेंटिंग में भारतीय संस्कृति, धर्म-अध्यात्म, दर्शन और परंपराएं देखने को मिलतीं हैं।

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