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नारीशक्ति के लिए मिसाल बनी विद्युत सखी "क्षमा"

सरकार का राजस्व बढ़ाने के साथ खुद भी स्वावलंबी बन रही यूपी की महिलाएं

'विद्युत सखी योजना' से रौशन हो रही प्रदेश की महिलाओं की जिंदगी

नारी शक्ति को आत्मनिर्भर बना रही सीएम योगी की विद्युत सखी योजना 

उत्तर प्रदेश में 9288 विद्युत सखियों ने सरकार के राजस्व में की 226.3 करोड़ की वृद्धि 

सरकार का राजस्व बढ़ाने के साथ ही 3.16 करोड़ का कमीशन प्राप्त करके बनाया रिकॉर्ड 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की विद्युत सखी क्षमा शर्मा ने न केवल विद्युत सखी योजना से जुड़कर अपने परिवार की आय बढ़ाई बल्कि प्रदेश की अन्य महिलाओं के लिए एक मिसाल भी बनीं। वह खुद तो स्वावलंबी बनीं ही साथ में गांव के अन्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरित कर रहीं हैं और योगी सरकारी की योजनाओं के बारे में लोगों को बता रही हैं।  

अन्य महिलाओं के लिए मिसाल बनीं क्षमा 

क्षमा ने बताया कि वह ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर बिजली का बिल जमा करती हैं, जिससे ग्रामीणों का समय तो बचता ही है साथ ही लंबी लाइन से उन्हे छुटकारा भी मिल जाता है। क्षमा शर्मा के अनुसार वह अब तक 17,513 बिल एकत्र कर चुकी हैं, जिसका 3.81 करोड़ रुपये का भुगतान यूपीपीसीएल को कर चुकी हैं। साथ ही कमीशन के रूप में कुल 4,62,863 रुपये कमाए हैं। क्षमा बताती हैं कि वह स्वयं सहायता समूह के जरिए विद्युत सखी बनी हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बैंकिंग सखी की तर्ज पर हम लोगों को बिजली सखी से जोड़कर हमारे जीवन को खुशहाल बना दिया है। मैं इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का धन्यवाद देती हूं। आज मैं बिजली का बिल जमा कराकर उससे मिलने वाले कमीशन से अपने परिवार का बखूबी ख्याल रख रही हूं। इससे मेरी और मेरे परिवार की आय में वृद्धि हुई है। 

अब तक 226.2 करोड़ का बिजली बिल जमा कराया 

उत्तर प्रदेश की नारी शक्ति को सशक्त, आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने का सीएम योगी का प्रयास रंग लाने लगा है। योगी सरकार द्वारा महिला स्वावलंबन के लिए चलाई जा रही योजनाओं का लाभ उठाकर नारी शक्ति प्रदेश के विकास में कंधे से कंधा मिलाकर चल रहीं हैं। इसी क्रम में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 9288 विद्युत सखियों ने 226.3 करोड़ रुपये का बिजली बिल जमा कराकर 3.16 करोड़ रुपये कमीशन प्राप्त कर अपना और परिवार का जीवन रौशन किया है।

मुख्यमंत्री की डिजिटल मुहिम से भी जुड़ीं विद्युत सखी

राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के मिशन निदेशक भानू चंद्र गोस्वामी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अब तक स्वयं सहायता समूह से 15427 महिलाओं को चयनित किया जा चुका है, जिसमें से 9288 विद्युत सखियों ने कार्य शुरू कर दिया है। यह ग्रामीण और शहरी इलाकों में मीटर रीडिंग और बिजली के बिल का कलेक्शन कर रही हैं। इसके लिए उन्हे विद्युत सखी ऐप उपलब्ध कराया गया है, जिसमें वह लॉगिंग करके बिजली बिल बनाकर उसका कलेक्शन करती हैं और ऐप के जरिए ही यूपीपीसीएल को बिल का भुगतान करती हैं। 

ऐप के जरिये ही प्राप्त हो जाता है कमीशन 

बिल का भुगतान करते ही उनका कमीशन भी ऐप पर तुरंत आ जाता है। ऐसे में उन्हे विद्युत उपकेंद्र तक भी नहीं जाना होता है। इस योजना से जुड़ने के लिए विद्युत सखी को पहली बार एेप पर 30 हजार रुपये का रिचार्ज करना होता है। इसके लिए स्वयं सहायता समूह के जरिए 30 हजार रुपये 4 प्रतिशत ब्याज पर दिया जाता है। पहली बार रिचार्ज कराने के बाद विद्युत सखी दोबारा अपने अनुसार रिचार्ज कर अपना काम करती हैं। 

प्रदेश में बिजली बिल के भुगतान में बुलंदशहर अव्वल

प्रदेश में बुलंदशहर में 213 विद्युत सखी हैं, जिन्होंने 85435 बिजली बिल एकत्र किए हैं और 16 करोड़ से अधिक यूपीपीसीएल को बिल का भुगतान प्राप्त किया, जबकि साढ़े अठारह लाख से अधिक कमीशन प्राप्त कर पहला स्थान प्राप्त किया है, वहीं दूसरे पायदान पर मेरठ है जहां 156 विद्युत सखी कार्यरत हैं, जिन्होंने 43905 बिजली बिल एकत्र किए हैं और 12 करोड़ से अधिक बिल का भुगतान कर साढ़े चौदह लाख से अधिक का कमीशन अर्जित किया है। इसी क्रम में तीसरे स्थान पर इटावा है, जहां 66 विद्युत सखी हैं जिन्होंने 48 हजार से ज्यादा बिल एकत्र कर आठ करोड़ से अधिक बिल का भुगतान कर 8 लाख 92 हजार से अधिक कमीशन प्राप्त किया है। 

 प्रतिमाह 8 हजार रुपए तक कमा रहीं विद्युत सखी

निदेशक ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में दो हजार तक के प्रति बिजली बिल के भुगतान पर विद्युत सखी को 20 रुपये दिए जाते हैं, जबकि दो हजार रुपये से अधिक के प्रति बिजली बिल के भुगतान पर 1 प्रतिशत कमीशन दिया जाता है। वहीं शहरी क्षेत्रों में तीन हजार तक के प्रति बिजली बिल के भुगतान पर 12 रुपये और तीन हजार रुपये से ज्यादा के प्रति बिजली बिल के भुगतान पर .4 प्रतिशत कमीशन दिया जाता है। इससे विद्युत सखी हर माह करीब 6 से 8 हजार रुपये कमा रही हैं।

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