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HDFC : एजुकेशन पेमेंट्स को डिजिटाईज़ करने के लिए फ्लाईवायर के साथ की साझेदारी

मुंबई (एजेंसी)। एचडीएफसी बैंक लिमिटेड ने आज ग्लोबल पेमेंट्स इनेबलमेंट एवं सॉफ्टवेयर कंपनी, फ्लाईवायर कॉर्पोरेशन (फ्लाईवायर) के साथ साझेदारी करने की घोषणा की। इस साझेदारी द्वारा भारतीय पूरी दुनिया में उच्च शिक्षा के संस्थानों को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा शुल्क सुगमता से डिजिटल माध्यम की मदद से भुगतान कर सकेंगे। इस इंटीग्रेशन द्वारा विद्यार्थियों और उनके परिवारों को लिबरलाईज़्ड रैमिटेंस स्कीम का अनुपालन करने और उच्च वैल्यू की ट्यूशन फीस भरने का सुगम अनुभव प्राप्त हो सकेगा।

एचडीएफसी बैंक का इंटीग्रेशन सीधे फ्लाईवायर के प्लेटफॉर्म के साथ हो गया है, जिससे भारतीय विद्यार्थियों को अपने विनिमयों के लिए पूर्णतः डिजिटल चेकआउट का अनुभव मिलेगा और वो आवेदन शुल्क से लेकर ट्यूशन फीस तक हर भुगतान सुगमता से कर सकेंगे। विद्यार्थी भुगतान भारतीय रुपये में कर सकते हैं और सुरक्षित एवं स्ट्रीमलाईंड भुगतान का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। उन्हें यह भरोसा भी मिलता है कि उनके फंड सीधे शैक्षणिक संस्थान में पहुँचेंगे। इसके अलावा, फ्लाईवायर द्वारा भुगतान स्वीकार करने वाले संस्थानों को स्थानीय करेंसी में समय पर भुगतान प्राप्त होने का फायदा और विनिमय के इतिहास में पूर्ण पारदर्शिता का लाभ मिलता है, जिससे उनकी मिलान की प्रक्रिया आसान बनती है, और ऑपरेशनल एफिशियंसी बढ़ती है।

विदेशों में जाकर उच्च शिक्षा पाने की मांग बहुत ज्यादा है, भारतीय विद्यार्थी प्रवेश लेने वाले महत्वपूर्ण समूहों में हैं। 2022 की ओपन डोर्स रिपोर्ट के मुताबिक 2021-2022 के शैक्षणिक वर्ष में अमेरिका में लगभग 200,000 भारतीय विद्यार्थियों ने अध्ययन किया, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 19 प्रतिशत ज्यादा था। आईसेफ की रिपोर्ट में भी भविष्यवाणी की गई कि भारत से विदेशों में जाकर पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या अनेक देशों में बढ़ेगी, और अगले कुछ सालों में दोगुनी से ज्यादा बढ़कर 2024 तक 1.8 मिलियन विद्यार्थियों तक पहुँच जाएगी।

मोबिलिटी के इन ट्रेंड्स के बावजूद भारतीय विद्यार्थियों को ट्यूशन के भुगतान के मामले में पारंपरिक, लंबी व कागजों पर आधारित प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इसलिए भारतीय विद्यार्थी अंतर्राष्ट्रीय भुगतान करने के लिए सरल व ज्यादा लचीली भुगतान प्रक्रिया चाहते हैं। फ्लाईवायर की रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे में शामिल 82 प्रतिशत भारतीय विद्यार्थियों का मानना है कि एक सरल भुगतान प्रक्रिया से शिक्षा के अनुभव में सुधार आएगा।

एचडीएफसी बैंक और फ्लाईवायर के बीच साझेदारी विदेशों में शिक्षा के भुगतान के लिए एक इनोवेटिव दृष्टिकोण प्रदान करती है, जो विद्यार्थियों और संस्थानों, दोनों के लिए फायदेमंद है। पहले तो इस इंटीग्रेशन द्वारा सुगम और डिजिटल भुगतान का अनुभव मिलेगा, और लंबी एवं जटिल प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाईन होकर आसान बन जाएगी। साथ ही इस इंटीग्रेशन द्वारा रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों, लिबरलाईज़्ड रेमिटैंस स्कीम (एलआरएस) के लिए अनुपालन की प्रक्रिया स्ट्रीमलाईन हो जाएगी और भारतीय नागरिक हर वित्तवर्ष में विदेशों में 250,000 अमेरिकी डॉलर भेज सकेंगे। एचडीएफसी बैंक और फ्लाईवायर एलआरएस शर्तों के अधीन सभी आवश्यक सत्यापन शीघ्रता से भुगतानकर्ता के डिजिटल भुगतान के अनुभव के दौरान ही प्रदान करते हैं। इस इंटीग्रेशन द्वारा संस्थान को भी लाभ मिलता है, क्योंकि वह ऑटोमैटिक रूप से विद्यार्थी की पूरी उपयोगी जानकारी एकत्रित कर लेता है, और सुनिश्चित कर पाता है कि भुगतान सही व पहचाने योग्य हो। फ्लाईवायर संस्थान के बैंक खाते में पहुँचाए गए भुगतान के स्रोत को पहचानता है और हर भुगतान को सही विद्यार्थी रिकॉर्ड में पहुँचाता है।

जतिंदर गुप्ता (बिज़नेस हेड - रिटेल ट्रेड एवं फॉरेक्स, एचडीएफसी बैंक) ने कहा, ‘‘हमें फ्लाईवायर के साथ साझेदारी करने और भारतीय विद्यार्थियों को भुगतान के विस्तृत विकल्प प्रदान करने की खुशी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारा संयुक्त नेटवर्क और समाधानों का विस्तार विद्यार्थियों और उनके परिवारों को अंतर्राष्ट्रीय भुगतानों का सुविधाजनक व सुरक्षित प्रबंधन करने में मदद करेगा, और वो भारत एवं विदेशों में आसानी से भुगतान कर सकेंगे। फ्लाईवायर के साथ साझेदारी करके हम विद्यार्थियों को लाभान्वित करने के लिए अपने भुगतान समाधानों का विस्तार कर रहे हैं।’’

मोहित कंसल (वीपी, ग्लोबल पेमेंट्स, फ्लाईवायर) ने कहा, ‘‘इस साझेदारी का एक मुख्य फायदा है कि इसके द्वारा भुगतान करना बहुत आसान हो गया है क्योंकि इसने सामान्य रूप से लगने वाले समय और डॉक्युमेंटेशन को घटा दिया है।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘फ्लाईवायर की पेमेंट टेक्नॉलॉजी और एचडीएफसी बैंक के विस्तृत बैंकिंग नेटवर्क के मिश्रण ने भारतीयों के लिए ओपन-बैंकिंग के अनुभव का निर्माण किया है, और आम तौर से कागजातों पर आधारित प्रक्रिया को पूरी तरह से ऑनलाईन कर दिया है।’’

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