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केंद्रीय विद्यालय के बच्चों को कथक में प्रशिक्षित कर रही है मिशा रतन

लखनऊ। भारत के विभिन्न राज्यों में अलग अलग विषयों की कार्यशाला का आयोजन रूट्स 2 रूट्स के द्वारा 2014 से लगातार किया जा रहा है। रूट्स 2 रूट्स भारत के साथ विदेशों में सांस्कृतिक आदान-प्रदान के  कार्यक्रमों में लगी एक गैर-लाभकारी संस्था है। यह संस्था सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रमों के माध्यम से शांति, एकता, अखंडता के रूप में बच्चों के भविष्य  निर्माण में अग्रणी कार्य करती आ रही है। भारत और विदेशों में यह संस्था "एक्सचेंज फॉर चेंज" कार्यक्रम में उल्लेखनीय कार्य करती है। वर्तमान में 31+ स्कूलों से जुड़ा है और 20,000 बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रहा है। संस्था के सह सहयोगी शिवम ने जानकारी देते हुए बताया कि रूट्स 2 रूट्स ने पढ़ाई के साथ-साथ कला और संस्कृति (ऑनलाइन और भौतिक कार्यशालाओं के माध्यम से) का पालन करने के लिए युवाओं को पढ़ाने और प्रेरित करने की इस उत्कृष्ट पहल की शुरुआत की है, जो NEP, 2020 को सुविधाजनक और लागू करता है। अंत में महामारी के बाद, रूट्स 2 रूट्स ने पहल की है। देश के केंद्रीय विद्यालय और जवाहर लाल नेहरू विद्यालय के साथ राज्य सरकार के विभिन्न स्कूलों में अपने कार्यक्रम को आयोजित करता है। 

इसी सांस्कृतिक आदान प्रदान के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में कथक नृत्य की कार्यशाला कराने के लिए लखनऊ पं. अर्जुन मिश्र और गुरु सुरभि सिंह की दूरदर्शन और संस्कृति विभाग की ग्रेडड शिष्यायो रतन सिस्टर का चयन किया गया। जिसमें मिशा रतन उत्तर प्रदेश के  विभिन्न केंद्रीय विद्यालयो में क्रमानुसार कथक का प्रशिक्षण शिविर आयोजित करेगी।राष्ट्रीय कथक  कलाकार मिशा रतन द्वारा कथक की प्रारंभिक जानकारी के साथ प्रयोगात्मक रूप से परिधान और कथक नृत्य की तालो और लय के बारे में जानकारी प्रदान की जायेगी। बाल दिवस के उपलक्ष्य में एसजीपीजीआई से यह मुहिम प्रारंभ हुई। क्रमश: केवी गोमती नगर, कैंट, बीकेटी, आईआईएम, अलीगंज, पीजीआई, एएमसी,  जगदीशपुर ,बाराबंकी , सुल्तानपुर  शहरो में आयोजित होगी। कार्यशाला के संबंध में छात्राओ के साथ छात्र भी कथक के बारे में जानने को उत्सुक दिखाई दिए। कार्यशाला में कथक नृत्यांगना मिशा रतन को भारी समर्थन मिला। बच्चो ने कथक सीखने के लिए विशेष रुचि दिखाई। प्रदेश के विभिन्न केंद्रीय विद्यालय में प्रधानाचार्य और शिक्षक वर्ग ने संस्था के प्रयास को कला संस्कृति के संरक्षण के लिए अच्छा प्रयास कहा।

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